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उन्नत तकनीक से जीवन में फैला रहीं 'प्रकाश', एसएन मेडिकल कालेज की डाक्टर डीएएलके तकनीक से कर रहीं प्रत्यारोपण

डॉ. शेफाली मजूमदार चाहती तो अपने लिए कोई दूसरा सहज रास्ता चुन लेती मगर उन्होंने दूसरों की जिंदगी में उजाला भरने को अहमियत दी। युवावस्था में ही आंखों की रोशनी खो बैठे लोगों को उम्मीद दी। आंखों के इलाज में जटिल माने जाने वाले कार्निया प्रत्यारोपण को उन्होंने सरल बनाया।

By Jagran NewsEdited By: Versha SinghFri, 31 Mar 2023 10:53 AM (IST)
उन्नत तकनीक से जीवन में फैला रहीं 'प्रकाश', एसएन मेडिकल कालेज की डाक्टर डीएएलके तकनीक से कर रहीं प्रत्यारोपण
उन्नत तकनीक से जीवन में फैला रहीं 'प्रकाश'

अजय दुबे, जागरण संवाददाता, आगरा: डॉ. शेफाली मजूमदार चाहती तो अपने लिए कोई दूसरा सहज रास्ता चुन लेती, मगर उन्होंने दूसरों की जिंदगी में उजाला भरने को अहमियत दी। युवा अवस्था में ही आंखों की रोशनी खो बैठे लोगों को उम्मीद दी।

आंखों के इलाज में जटिल माने जाने वाले कार्निया प्रत्यारोपण को उन्होंने सरल बना दिया। देश के सबसे प्रतिष्ठित संस्थान एम्स से प्रशिक्षण लेकर वे उन्नत तकनीत डीएएलके का प्रयोग कर बूढ़ी आंखों के कार्निया से युवाओं की जिंदगी में प्रकाश भर रही हैं। इस तकनीक से वे अब तक 30 लोगों में कोर्निया का सफल प्रत्यारोपण कर चुकी हैं।

एसएन मेडिकल कालेज में नेत्रदान से मिलने वाली कार्निया का प्रत्यारोपण किया जाता है, यहां अधिकांश कार्निया 70 से अधिक उम्र के बुजुर्गों की प्राप्त हो रही हैं, इन कार्निया की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है। पूरा कार्निया प्रत्यारोपित करने से अंधता से जूझ रहे युवाओं की रोशनी नहीं लौट पाती है। सभी कार्निया इस्तेमाल भी नहीं हो पाते हैं।

ऐसे में नेत्र रोग बैंक की प्रभारी डॉ. शेफाली मजूमदार ने आरपी सेंटर एम्स दिल्ली में कार्निया प्रत्यारोपण की अत्याधुनिक तकनीकी डीप एंटीरियर लैमेलर केराटोप्लास्टी का प्रशिक्षण लिया। इस तकनीकी में पूरे कार्निया की जगह परतों का ही प्रत्यारोपण किया जाता है, एक कार्निया दो से तीन मरीजों में इस्तेमाल हो सकते है। वह 2021 से इसी तकनीकी से कार्निया प्रत्यारोपण कर रही हैं।

बुजुर्गों से मिलने वाले कार्निया की ऊपर परत अच्छी गुणवत्ता की होती है, वे इसका प्रत्यारोपण युवाओं में कर रही हैं। शेष कार्निया का इस्तेमाल ऐसे मरीजों में कर रही हैं जिनके कार्निया का अंदर का हिस्सा किसी कारण से खराब हो गया है।

उत्तर प्रदेश के राजकीय मेडिकल कालेजों में एसएन अकेला कालेज है जहां इन तकनीकी से कार्निया प्रत्यारोपित की जा रही हैं। एसएन के नेत्र बैंक में डीएएलके तकनीकी से प्रत्यारोपण करने के लिए विशेष आपरेशन थिएटर तैयार कराया गया है।

एक कार्निया का दो से तीन मरीजों में इस्तेमाल

कार्निया की ऊपर और सबसे नीचे की परत का अंधता से पीड़ित मरीजों में इस्तेमाल किया जाता है। जबकि बचे हुए कार्निया को ऐसे मरीजों में इस्तेमाल किया जा रहा है जिनके कार्निया में घाव हो गया है। उनकी ऊपर की परत ठीक है, इनकी सर्जरी में बचे हुए कार्निया के हिस्सों को इस्तेमाल किया जाता है।