इंडिगो को जमीन पर लाने वाली कंपनी, F16 और F35 विमानों के लिए भी बनाती है इंजन
जिस कंपनी के इंजनों में कमी के चलते इंडिगो के कई विमानों को धरती पर ला दिया गया है और कई उड़ानों को रद करना पड़ा है। बता दें कि यही कंपनी एफ16 और एफ 35 के लिए भी इंजन बनाती है।
नई दिल्ली, [स्पेशल डेस्क]। डीजीसीए यानी नागर विमानन महानिदेशालय के एक आदेश के बाद इंडिगो और गो एयर के 11 विमान धरती पर आ गए हैं। डीजीसीए ने इन विमानों को ग्राउंड करने का फैसला किया है। इसमें इंडिगो के 9 और गो एयर के दो विमान शामिल हैं। ए-320 नियो श्रेणी के इन विमानों के ग्राउंड होने से दोनों विमानन कंपनियों की कई उड़ानों को रद करना पड़ा है। इतने विमानों के एक साथ ग्राउंड होने से आपको परेशानी तो जरूर होगी, लेकिन यकीन मानिए यह फैसला आपकी ही सुरक्षा को ध्यान में रखकर लिया गया है।
क्यों एक साथ ग्राउंड किए गए इतने विमान
इतने सारे विमान एक साथ ग्राउंड होने से यात्रियों को परेशानी जरूर हो रही है। लेकिन इसके पीछे कारण बेहद गंभीर है। यह फैसला इसलिए लिया गया है क्योंकि इनमें इस्तेमाल होने वाला ह्विटनी इंजन में खराबी आ रही है। इसके बार-बार फेल होने से यात्रियों की सुरक्षा खतरे में पड़ती है। पिछले एक महीने के दौरान ही इन विमानों के इंजन आसमान में ही तीन बार अचानक बंद हो चुके हैं। यही नहीं इसी सोमवार को अहमदाबाद एयरपोर्ट पर इंडिगो के एक विमान का इंजन फेल होने के बाद इमरजेंसी लैंडिंग करानी पड़ी थी। इसके बाद ही डीजीसीए ने यह कड़ा रुख अपनाया है। वैसे बता दें कि कई फाइटर विमानों में भी इसी कंपनी का इंजन लगाया जाता है।
बार-बार आ रही गड़बड़ी
इन विमानों में इस्तेमाल होने वाले ह्विटनी इंजन में बार-बार समस्या आ रही है। गंभीर बात यह है कि बार-बार गड़बड़ी आने के बावजूद अब तक इस समस्या के समाधान की कोई ठोस पहल सामने नहीं आई है। यही वजह है कि डीजीसीए को यह कड़ा फैसला लेना पड़ा, जिसकी वजह से यात्रियों को कुछ परेशानियां झेलनी पड़ रही हैं। खास बात यह भी है कि ह्विटनी के एक खास सीरीज के इंजनों में ही यह खराबी है। दोनों कंपनियों के पास इसी सीरीज के दूसरे इंजन स्टॉक में उपलब्ध हैं, लेकिन डीजीसीए ने दोनों विमानन कंपनियों को विमानों में यह इंजन लगाने से मना कर दिया है।
पिछले एक दशक में तीन बार हुआ ऐसा
ऐसा भी नहीं है कि विमानों को ग्राउंड करने का इस तरह का फैसला डीजीसीए ने पहली बार लिया हो। लेकिन यह ऐसी घटना भी नहीं है, जो बार-बार होती हो। 1990 में एयर इंडिया के ए-320 विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद उसके द्वारा इस्तेमाल सभी ए-320 विमानों को ग्राउंड कर दिया गया था। 2013 में एयर इंडिया के बोइंग 737 विमानों की लीथियम बैट्री में खराबी की घटनाओं के बाद भी इन विमानों की उड़ानों पर रोक लगा दी गई थी। पिछले साल भी इंडिगो के कुछ विमानों को ह्विटनी इंजन में गड़बड़ी के चलते ग्रांउड करने का फैसला लिया गया था। परेशानी ठीक होने के बाद ही विमानों को फिर से उड़ान भरने की इजाजत मिली थी।
पीडब्ल्यू 1100 इंजन के साथ है परेशान
डायरेक्ट्रेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए) के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि शुक्रवार को ही ईएएसए (यूरोपियन एविएशन सेफ्टी रेग्यूलेटर) ने ए320 में लगे पीडब्ल्यू 1100 इंजन को लेकर इमरजेंसी एयरवर्दीनेस डायरेक्टिव जारी किए हैं। दिक्कत इस इंजन के एक खास सीरीज में है। यह दिशा-निर्देश इसलिए जारी करने पड़े क्योंकि कई बार यह इंजन उड़ान के दौरान बंद हो जा रहे थे और टेकऑफ में भी कई बार दिक्कतें सामने आयीं थीं। एयरबस ने भी इस तरह से इंजनों के इस्तेमाल पर रोक लगाने के लिए अलर्ट जारी किया है।
सेना भी करती है ह्विटनी इंजन का इस्तेमाल
अक्टूबर 2014 में प्रैट एंड ह्विटनी को अमेरिका के रक्षा विभाग से एफ-35 फाइटर के लिए 36 एफ 135 इंजन बनाने का कॉन्ट्रैक्ट मिला। यह कंपनी दुनिया की 27 वायु सेनाओं को अपने इंजन मुहैया कराती है। एफ-22 रैप्टर के लिए यह एफ119 इंजन भी बनाती है। एफ100 सीरीज के इंजन भी यह कंपनी बनाती है जो एफ-15 ईगल और एफ-16 फाल्कन विमानों में इस्तेमाल होते हैं। एफ117 सीरीज के इंजन सी-17 ग्लोबमास्टर 3 में प्रयोग होता है। ऐसे ही कई अन्य फाइटर जेट्स में भी ह्विटनी का इंजन इस्तेमाल होता है।