कोरोना को लेकर नहीं पालें यह भ्रम, भोपाल में कई लोग दोबारा हुए संक्रमित, एक की मौत
कोरोना संक्रमण को लेकर अमूमन लोगों में धारणा बन गई है कि एक बार संक्रमित होने के बाद वे दोबारा इस जानलेवा बीमारी की चपेट में नहीं आएंगे लेकिन ऐसा नहीं है। पढ़ें यह रिपोर्ट...
दीपक विश्वकर्मा, भोपाल। कोरोना को लेकर लोगों में धारणा बन गई है कि एक बार संक्रमित होने के बाद वे दोबारा इस बीमारी की चपेट में नहीं आएंगे लेकिन ऐसा नहीं है। विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना का संक्रमण दोबारा भी हो सकता है। हाल ही में भोपाल जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट से पता चला है कि शहर में एक दर्जन से ज्यादा लोग ठीक होने के एक महीने के भीतर दोबारा संक्रमित हो गए। दोबारा संक्रमित होने वालों में एक डॉक्टर और एक नर्स भी शामिल हैं। यही नहीं 65 वर्षीय एक महिला की मौत भी हो चुकी है।
कहीं यह वजह तो नहीं...
दरअसल, नई गाइडलाइन के तहत कोरोना संक्रमित के ठीक होने पर जब अस्पताल से छुट्टी दी जाती है तो उसकी कोरोना जांच नहीं होती है। ऐसे में यह पता नहीं चलता है कि शरीर से कोरोना का वायरस खत्म हुआ या नहीं। कुछ लोग होम आइसोलेशन में भी रखे गए हैं। ऐसे में इन्हें 10 दिन बाद स्वत: ही कोरोना मुक्त मान लिया जाता है। बता दें कि लॉकडाउन लागू होने के बाद जो गाइडलाइन जारी की गई थी, उसमें कोरोना मरीज को अस्पताल से छुट्टी देने से पहले सैंपल लेने का प्रावधान था, जिसे अब हटा दिया गया है।
केस-1
अहीरपुरा जहांगीराबाद निवासी 65 वर्षीय फूलबती बाई पहली बार 24 अप्रैल को पॉजिटिव पाई गई थीं। इन्हें सता मई को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी। इसके एक हफ्ते बाद 14 मई को इनकी रिपोर्ट दोबारा पॉजिटिव आई और इनकी मौत हो गई।
केस-2
ओल्ड सुभाष नगर निवासी और हमीदिया में स्टाफ नर्स मोना अजीत की पहली रिपोर्ट 30 अप्रैल को पॉजिटिव आई। इन्हें आठ मई को छुट्टी दी गई थी। एक हफ्ते बाद इन्होंने दोबारा सैंपल दिया तो रिपोर्ट फिर से पॉजिटिव आई।
...तब इससे ज्यादा खतरा नहीं
भोपाल स्थित एम्स के निदेशक डॉ. सरमन सिंह ने कहा कि दुनिया की छह बेहतरीन लैब में इस संबंध में अध्ययन हो चुका है। इसमें पता चला है कि एक बार कोरोना के लक्षण खत्म होने के बाद वह पॉजिटिव भी आता है तो इससे ज्यादा खतरा नहीं है, क्योंकि दोबारा पॉजिटिव आने वाला व्यक्ति दूसरों को संक्रमित नहीं कर सकता है। यह पैक्ट वायरस होता है, जोकि पूर्ण वायरस न होकर सिर्फ उसके अंश होते हैं जो शरीर के किसी हिस्से में रह गए हों। कई बार संक्रमण मुक्त होने के बाद चाय, काफी या अन्य पेय पदार्थ के जरिये वे संक्रमित हो सकते हैं। ऐसी स्थिति में मरीज को सिर्फ नाक से सांस लेना चाहिए ताकि उनमें दोबारा लक्षण न पनपें।
नमूनों की जांच हो सकती है प्रभावित
भोपाल स्थित हमीदिया अस्पताल के छाती एवं श्वास रोग विभाग के एचओडी डॉ. लोकेन्द्र दवे ने कहा कि कोरोना की जांच में 70 फीसद तक ही रिपोर्ट की प्रमाणिकता रहती है। सैंपल ठीक से नहीं लिया गया तो इससे भी जांच प्रभावित होती है। सैंपल को लैब तक भेजने के दौरान तय तापमान पर रखा गया या नहीं तब भी जांच पर असर पड़ता है। हमीदिया में भर्ती करीब 80 साल की एक महिला एक बार निगेटिव आने के बाद इसलिए पॉजिटिव आ गई थी कि उसे टीबी की बीमारी थी। इससे संक्रमण पूरी तरह से ठीक नहीं हो पाया था।