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त्‍वचा रहेगी जवां, किडनी इंजरी से मिलेगी निजात और धड़कनों की निगरानी करेगा सेंसर

हाल ही में वैज्ञानिकों ने किडनी, त्‍वचा और दिल से जुड़ी गंभीर समस्‍याओं को ठीक करने की तकनीक तलाश करने का दावा किया है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 02:47 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jan 2019 03:31 PM (IST)
त्‍वचा रहेगी जवां, किडनी इंजरी से मिलेगी निजात और धड़कनों की निगरानी करेगा सेंसर
त्‍वचा रहेगी जवां, किडनी इंजरी से मिलेगी निजात और धड़कनों की निगरानी करेगा सेंसर

नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। वैज्ञानिक जैसे-जैसे चिकित्‍सा विज्ञान के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं, वैसे-वैसे उन्हें कई गंभीर समस्‍याओं का समाधान मिल रहा है। हाल ही में वैज्ञानिकों ने किडनी, त्‍वचा और दिल से जुड़ी गंभीर समस्‍याओं को ठीक करने की तकनीक तलाश करने का दावा किया है। किडनी की समस्‍या से निजात दिलाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक तलाशी है। इससे किडनी इंजरी के उपचार और रोकथाम में मदद मिलेगी। कुछ वैज्ञानिकों ने हाल ही में यह भी दावा किया कि उन्‍होंने शरीर को जवां रखने का तरीका खोज लिया है। वहीं कुछ शोधकर्ताओं ने एक नई इलेक्‍ट्रोनिक डिवाइस विकसित की है। यह सेंसर बिना कोई प्रभाव डाले हार्ट सेल्‍स या कार्डियोमायोसाइट्स की धड़कन पर करीब से नजर रख सकता है।

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किडनी की समस्या से निजात पाने का बेहतर तरीका तलाशा
किडनी की समस्या से निजात दिलाने के लिए वैज्ञानिकों ने एक नई तकनीक तलाशी है। उनका कहना है कि डीएनए ओरिगेमी नैनोस्ट्रक्चर के उपयोग से तैयार की गई इस तकनीक से एक्यूट किडनी इंजरी के उपचार और रोकथाम में मदद मिल सकती है। एक्यूट किडनी इंजरी में किडनी खून से अपशिष्ट पदार्थ को फिल्टर करना अचानक बंद कर देती है।

इससे खून में अपशिष्ट उत्पाद जमा होने लगते हैं और शरीर में तरल पदार्थ असंतुलित हो जाते हैं। इसका उपचार नहीं होने पर यह समस्या गंभीर हो सकती है। इस समस्या के चलते हर साल दुनियाभर में करीब 17 लाख लोगों की मौत हो जाती है। अमेरिका की एरिजोना स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने यह नई तकनीक ईजाद की है। शोधकर्ताओं ने डीएनए ओरिगेमी नैनोस्ट्रक्चर की एक सीरीज तैयार की। यह आयताकार नैनोस्ट्रक्चर किडनी को किसी नुकसान से बचाने में उसी तरह प्रभावी पाया गया जिस तरह कोई दवा प्रभावी होती है।

वैज्ञानिकों ने शरीर को जवां रखने का तरीका किया ईजाद
वैज्ञानिकों ने शरीर को जवां रखने का तरीका खोजने का दावा किया है। उनका कहना है कि इस तरीके से ना सिर्फ पुरानी और क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को दूर किया जा सकता है बल्कि जवां रहने के गुणों को फिर से हासिल भी किया जा सकता है। इस खोज से बुढ़ापा रोधी और उम्र संबंधी बीमारियों के लिए इलाज विकसित करने का रास्ता प्रशस्त हो सकता है।

इजरायल के विजमैन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के शोधकर्ताओं के अनुसार, इस शोध से जाहिर होता है कि शरीर को जवां, स्वस्थ और ऊर्जावान रखने का सपना साकार हो सकता है। चूहों पर किए गए इस शोध में उस तरीके पर गौर किया गया, जिसमें प्रतिरक्षा प्रणाली पुरानी कोशिकाएं यानी सेनसेंट सेल्स को हटाने की अहम गतिविधि में शामिल होती है। सेनसेंट सेल्स शरीर में इंफ्लेमेशन को बढ़ावा देकर बुढ़ापा संबंधी रोगों का कारण बनती हैं। ये कोशिकाएं पूरी तरह मृत नहीं होतीं, लेकिन कार्य करने में अक्षम या दुरुस्त नहीं होने लायक होती हैं।

धड़कनों की निगरानी कर सकता है नया सेंसर
शोधकर्ताओं ने एक नई इलेक्ट्रानिक डिवाइस विकसित की है। यह सेंसर बिना कोई प्रभाव डाले हार्ट सेल्स (हृदय कोशिकाओं) या कार्डियोमायोसाइट्स की धड़कन पर करीब से नजर रख सकता है। शोधकर्ताओं के अनुसार, यह सभी जानते हैं कि जीवन के लिए धड़कन की कितनी अहमियत होती है, लेकिन कई बार किसी गड़बड़ी के चलते यह सही तरह काम नहीं करती। इसलिए इसकी निगरानी महत्वपूर्ण हो जाती है।

शोधकर्ताओं का मानना है कि इस सेंसर के उपयोग से दूसरी कोशिकाओं और अंगों की भी निगरानी की जा सकती है। जापान की टोक्यो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता सनघून ली ने कहा, ‘हमारे नैनोमेश सेंसर के शोधकर्ताओं ने ज्यादा भरोसेमंद तरीके से यह अध्ययन किया कि कार्डियोमायोसाइट्स और दूसरे कोशिका समूहों की प्रकृति कैसी है।’  


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