Move to Jagran APP

MP में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक अफसरों का तबादला, 6 जिलों के डीएम-एसपी एक साथ बदले गए

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहंती के बीच लंभी बातचीत के बाद शनिवार देर रात कई प्रशासनिक अधिकारियों का तबादला कर दिया।

By Mangal YadavEdited By: Published: Mon, 03 Jun 2019 10:34 AM (IST)Updated: Mon, 03 Jun 2019 10:34 AM (IST)
MP में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक अफसरों का तबादला, 6 जिलों के डीएम-एसपी एक साथ बदले गए
MP में बड़े पैमाने पर प्रशासनिक अफसरों का तबादला, 6 जिलों के डीएम-एसपी एक साथ बदले गए

भोपाल, राज्य ब्यूरो। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मुख्य सचिव सुधिरंजन मोहंती के बीच लंबी बातचीत के बाद शनिवार देर रात कई प्रशासनिक अधिकारियों का तबादला कर दिया। जबलपुर में कलेक्टर के बाद पुलिस अधीक्षक और नगर निगम कमिश्नर का भी तबादला किया गया। प्रदेश के छह जिलों में कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक दोनों बदले गए हैं।

loksabha election banner

लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद सरकार ने प्रशासनिक फेरबदल के माध्यम से आगामी चुनावों को देखते मैदानी समीकरण बैठाए हैं। सूत्रों के मुताबिक, नगरीय विकास एवं आवास आयुक्त गुलशन बामरा का हटाया जाना, किसी के गले नहीं उतर रहा है, क्योंकि उनकी कार्यशैली सिर्फ और सिर्फ काम तक ही सीमित है। इसके बावजूद उन्हें सागर कमिश्नर बनाकर भेज दिया गया।

श्रीकांत बनोठ को लेकर माना जा रहा है कि उन्हें मुख्य सचिव के भरोसेमंद होने का फायदा मिला है। सीहोर कलेक्टर बनाए गए अजय गुप्ता का प्रदर्शन बेहतर रहा है तो माध्यमिक शिक्षा मंडल के सचिव अजय गंगवार पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के ओएसडी रहे हैं और उन्होंने मुख्य सचिव के साथ भी काम किया है। यही वजह है कि उन्हें नीमच जिले की बागडोर सौंपी गई है। नीमच भाजपा का गढ़ भी है।

लोक निर्माण विभाग के उप सचिव तरुण राठी को विधानसभा चुनाव के वक्त चुनाव आयोग के निर्देश पर हटाया गया था। उन्हें दमोह भेजा गया है। वीरेंद्र सिंह रावत को चुनाव के समय दतिया से हटाया था। सरकार ने उन पर भरोसा जताते हुए शाजापुर पदस्थ किया है। अक्षय कुमार सिंह को चुनाव आयोग ने निवाड़ी से हटाया था, उन्हें सरकार ने फिर वहीं पदस्थ कर दिया। भोपाल में सुदाम पंढरीनाथ खाड़े को हटाए जाने की अटकलें विधानसभा चुनाव खत्म होने के साथ ही लगाई जा रही थीं पर वे अभी तक पदस्थ रहे।

सतना कलेक्टर सत्येंद्र सिंह को लेकर चुनाव में भाजपा ने बहुत शिकायतें की थीं, पर उनका कोई तार्किक आधार नहीं था, इसलिए कोई कार्रवाई नहीं हुई। चुनाव होने के बाद सरकार को लगा कि सिंह की मौजूदगी बहुत प्रभावी नहीं रही। कुल मिलाकर देखा जाए तो सरकार ने प्रशासनिक जमावट के जरिये मैदानी समीकरण साधने का प्रयास किया है। इसके पीछे मुख्य उद्देश्य आगामी समय में होने वाले निकाय और पंचायत चुनाव के साथ योजनाओं का क्रियान्वयन पुख्ता करना है।

दरअसल, लोकसभा चुनाव में जिस तरह के नतीजे आए हैं, उसने सरकार को झकझोर कर रख दिया है। न तो किसानों ने कर्जमाफी जैसी योजनाओं को लेकर सरकार का साथ दिया, न ही ओबीसी आरक्षण की सीमा सरकारी नौकरियों में 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी करने का फायदा मिला।

भोपाल के लिए परफॉर्मर की तलाश
भोपाल में कलेक्टर के पद पर उस अधिकारी को पदस्थ किया जाएगा जो योजनाओं का बेहतर ढंग से क्रियान्वयन करा सकेगा। सूत्रों ने बताया कि सरकार का पूरा जोर साल के अंत में प्रस्तावित नगरीय निकाय चुनाव को लेकर है। सरकार शहरों में पट्टा वितरण को लेकर एक बड़ा कार्यक्रम लाने वाली है, जिसे क्रियान्वित करने के लिए तेजी से काम करने वाले अधिकारी की तलाश है।

लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.