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कार्यस्थल को करें रोशन

ऑफिस में काम करते वक्त जी नहीं लगता..। मन बुझा-बुझा सा रहता है.. सब साजिश करते लगते हैं.., आखिर ऐसा क्यों होता है? ऑफिस के माहौल को कैसे बनाएं खुशनुमा.. परणीत एक जानी-मानी कंपनी में काम करते है। कुछ साल पहले जब उन्हे इस संस्थान में काम करने का

By Edited By: Published: Tue, 13 Nov 2012 07:27 AM (IST)Updated: Tue, 13 Nov 2012 07:43 AM (IST)
कार्यस्थल को करें रोशन

ऑफिस में काम करते वक्त जी नहीं लगता..। मन बुझा-बुझा सा रहता है.. सब साजिश करते लगते हैं.., आखिर ऐसा क्यों होता है? ऑफिस के माहौल को कैसे बनाएं खुशनुमा..

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परणीत एक जानी-मानी कंपनी में काम करते है। कुछ साल पहले जब उन्हे इस संस्थान में काम करने का ऑफर मिला था, उस समय उनके पांव जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। अपने जैसा खुशनसीब उन्हे दूसरा कोई नहीं लगता था। अच्छे पैकेज, बेहतर सुविधाओं और काम के खुशनुमा माहौल के चलते दिन, महीने और साल कैसे बीते, इसका पता ही नहीं चला..। लेकिन पिछले कुछ महीनों से किसी काम में उनका जी ही नहीं लग रहा। कोई भी काम ठीक से नहीं कर पा रहे। जिस प्रोजेक्ट को शुरू करते है, वह शुरू से आखिर तक गड़बड़ होता रहता है। कोई पॉजिटिव रिजल्ट न आने पर बॉस की डांट पड़ती है..सो अलग।

परणीत को समझ में नहीं आ रहा कि ऐसा क्यों हो रहा है? कभी-कभी तो उसे लगता है कि सभी सहयोगी और बॉस उसके खिलाफ साजिश कर रहे है। वह चिड़चिड़ा भी हो गया है। बात-बात पर उखड़ने लगा है। उधर, ऑफिस में भी सभी उसके इस बदले व्यवहार से हैरान है। एक करीबी सहयोगी उसे लेकर चिंतित थे। वह जब कारणों की तह में गए, तो पता चला कि कुछ माह पहले परणीत पर काम का बोझ कुछ बढ़ गया था। चूंकि वह उत्साही और लगनशील था, इसलिए भूख-प्यास सब भूलकर काम में लगा रहता था। घर जाने की सुध-बुध भी नहीं रहती। आराम न मिलने और खान-पान पर ध्यान न देने से कुछ ही दिन में वह कमजोर और चिड़चिड़ा हो गया। प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद यह स्वभाव उसके ऊपर हावी हो गया।

समस्या समझने के बाद मित्र ने एक दिन परणीत को बैठाकर समझाया और सलाह दी कि वह कुछ दिन का अवकाश लेकर परिवार के साथ कहीं घूमने चला जाए। उस दौरान सब कुछ भूल कर सबके साथ एंज्वॉय करे। मित्र की सलाह मान उसने दो हफ्ते की छु˜ी ले ली। वह जब घूमकर लौटा, तो लगा जैसे उसका पुनर्जीवन हुआ हो। वह फिर से खुद को ऊर्जावान-उत्साही महसूस करने लगा और सभी के साथ घुल-मिलने लगा। ऑफिस में उसके पहले वाले स्वरूप को देखकर सभी बहुत खुश हुए।

चुनौतियों के सामने:

बदलते जमाने में कंपनियों के साथ-साथ व्यक्ति की चुनौतियां भी बढ़ रही है। कंपनी की चुनौती यह है कि उसे प्रतिद्वंद्वियों के सामने टिके रहते हुए खुद को आगे बढ़ाना होता है। कंपनी आगे बढ़ेगी, तभी वह अपने कर्मचारियों का बखूबी ध्यान रख सकती है। इस बात को एम्प्लॉयी को भी समझना चाहिए और कंपनी की अपेक्षाओं पर खरा उतरने की कोशिश करनी चाहिए।

मन का काम:

किसी भी संस्थान में काम करने वाले कर्मचारी के लिए यह जरूरी नहीं कि उसे अपनी पसंद का ही काम मिले। यह कंपनी और एचओडी के ऊपर है कि वह उससे क्या काम लेना चाहते है। आज के समय में आपके सामने यह कहने की गुंजाइश नहीं कि आप तो सिर्फ फलां-फलां काम ही कर सकते है..। अगर आप ऐसा कहते है, तो कंपनी के सामने अपनी छवि वहीं बिगाड़ लेंगे।

आलराउंडर का जमाना:

अगर आपको कोई काम नहीं आता, फिर भी उसे आपको दिया जाता है तो इसके पीछे संस्थान की कोई मंशा जरूर होती है। इसे सकारात्मक अर्थ में लें। हो सकता है कि कंपनी को आपकी क्षमता पर भरोसा हो और वह यह मानती हो कि आपको कोई भी काम दिया जाए, आप उसे कामयाबी के साथ पूरा कर लेंगे। ऐसा न हो, तो भी यही मौका होता है विपरीत परिस्थितियों का सामना करते हुए कुछ कर दिखाने का। खुद को साबित करने का। अगर आप किसी क्षेत्र में कमजोर भी है, तो जज्बा और हौसला बनाएं रखें। ठंडे दिमाग से यह सोचें कि उस काम को कैसे सफलतापूर्वक किया जा सकता है। अगर टीम और बॉस के साथ आपका तालमेल अच्छा है, तो इस काम में आप विनम्रता के साथ उनके सुझाव भी ले सकते है। ऐसा करते समय उनके खाली समय का भी ध्यान रखें। इससे उन्हे भी आपका सहयोग करने में अच्छा लगेगा।

खुद भी करे पहल:

यदि आपके किसी सहयोगी पर काम का बहुत दबाव है या फिर उसे किसी काम में मदद की जरूरत महसूस हो रही है, तो आप इसके लिए खुद पहल करे। इससे टीम के बीच आपकी बेहतर छवि बनेगी और आप भी जब कभी संकट में होंगे, तो सभी आपका हाथ बंटाने को तत्पर नजर आएंगे।

बॉस से टयूनिंग:

आपके करियर को आगे बढ़ाने में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका आपके विभाग के प्रमुख यानी एचओडी की होती है। विभाग और एचओडी कंपनी में तभी ताकतवर होता है, जब उसका काम दिखता और बोलता है। प्रभावशाली प्रदर्शन वह अपनी टीम के बल पर ही कर पाता है। बॉस की नजरों में अपनी वैल्यू बढ़ाने के लिए उनसे अपनी टयूनिंग बढ़ाएं, उनके संकेतों को समझें। जब कभी किसी बात को लेकर वह चिंतित नजर आएं या नया काम सामने आए, तो आप आगे बढ़कर उन्हे रास्ता सुझाएं और सहयोग करे।

[रमेश चंद्र]

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