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वोट देने में आगे, पगार पाने में पीछे, आधी आबादी के अधूरे अधिकारों का ये है पूरा सच

हाल में संपन्न हुए लोकसभा चुनावों में कई जगहों पर महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले ज्यादा मतदान किया है। ज्यादातर जगहों पर मतदान में महिलाओं पुरुषों के बराबर रही हैं।

By Amit SinghEdited By: Published: Fri, 07 Jun 2019 06:30 PM (IST)Updated: Sat, 08 Jun 2019 08:44 AM (IST)
वोट देने में आगे, पगार पाने में पीछे, आधी आबादी के अधूरे अधिकारों का ये है पूरा सच
वोट देने में आगे, पगार पाने में पीछे, आधी आबादी के अधूरे अधिकारों का ये है पूरा सच

नई दिल्ली [हरिकिशन शर्मा]। भारतीय राजनीति में महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार मिल गए हैं, लेकिन आर्थिक क्षेत्र में बराबरी का हक पाने के लिए उन्हें अभी लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी। हाल में संपन्न लोकसभा चुनावों में महिलाओं ने पुरुषों के बराबर और कई राज्यों में तो उनसे भी अधिक अनुपात में मतदान किया। बावजूद उनकी आर्थिक स्थिति में ज्यादा सुधार होता नहीं दिख रहा है।

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आर्थिक क्षेत्र की कड़वी सच्चाई यह है कि गांव हो या शहर, स्वरोजगार हो या नौकरी, महिला मजदूर और कर्मचारियों की महीने भर की कमाई उनके पुरुष सहकर्मियों के मुकाबले काफी कम होती है। सरकार के ताजा सर्वे में खुलासा हुआ है की ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में पुरुष और महिलाओं की मासिक आय में बड़ा अंतर है।

ग्रामीण क्षेत्र में एक पुरुष कामगार महिला की अपेक्षा 1.4 से 1.7 गुना ज्यादा कमाता है, जबकि शहरी क्षेत्रों में पुरुष कर्मचारियों की आय महिलाओं की तुलना में 1.2 से 1.3 गुना ज्यादा है। 'पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे' शीर्षक वाला यह सर्वे सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय के अधीन आने वाली संस्था नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस द्वारा वर्ष 2017-18 में पूरे देश में किया गया था। इसके नतीजे 31 मई को जिरी किए गए हैं।

सर्वे की अवधि के दौरान ग्रामीण क्षेत्रों में नियमित मजदूरी और वेतनभोगी पुरुष कर्मचारियों की मासिक आय 13000 से 14000 रुपये रही, जबकि महिला कर्मचारियों की आय मात्र 8.5 हजार रुपये से 10,000 रुपये थी। इसी तरह शहरी क्षेत्रों में अभी नियमित मजदूरी और वेतन भोगी पुरुष कर्मचारियों की मासिक आय 17000 रुपये से 18000 रुपये के बीच रही, जबकि महिला कर्मचारियों की एक महीने की आय मात्र 14000 से 15000 रुपये थी।

यही हाल अकुशल श्रमिकों का है। गांव में अगर कोई महिला अकुशल श्रमिक के रूप में काम करती है तो उसे मात्र 166 रुपए से 179 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी मिलती है, जबकि पुरुषों को उसी काम के लिए 253 से 282 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी मिलती है। इसी तरह शहरों में अकुशल पुरुष श्रमिक को प्रतिदिन 314 रुपये से 335 रुपये तक मजदूरी मिलती है, जबकि महिला श्रमिक को मात्र 186 से 201 रुपये ही मजदूरी मिलती है। स्वरोजगार के मामले में भी तस्वीर कोई अलग नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र में स्वरोजगार के जरिए एक पुरुष कामगार महीने भर में 8500 रुपए से 9700 रुपए कमा पाता है, जबकि महिला कामगार को मात्र 3900 से 4300 रुपए की ही आय होती है।

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