जिन्ना की इकलौती संतान थीं दीना, जानें- क्यों भारत में ही रहने का लिया फैसला
15 अगस्त 1919 को जन्मीें दीना वाडिया पहली बार पाकिस्तान तब गईं, जब 1948 में उनके पिता मोहम्मद अली जिन्ना की मौत हो गई।
नई दिल्ली, जेएनएन। पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्ना की बेटी दीना वाडिया इस दुनिया में नहीं रहीं। गुरुवार को अमेरिका के शहर न्यूयॉर्क में उनका निधन हो गया। 98 साल की उम्र में उन्होंने अंतिम सांसें ली। वह जिन्ना की इकलौती संतान थीं।
उनका जन्म भारत-पाकिस्तान विभाजन से पहले 15 अगस्त 1919 को हुआ था। जिन्ना को उनसे बेहद प्यार भी था, मगर जब 1947 में देश विभाजित हुआ तो दीना ने भारत का नागरिक बनना स्वीकार किया। यह जानकर लोगों को हैरानी होती है कि जिसके पिता पाकिस्तान के संस्थापक रहे, उनकी बेटी ने आखिर क्यों भारत में रहने का फैसला किया।
दीना को भारतीय पारसी से हो गया था प्यार
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, जिन्ना से दीना के रिश्ते उस वक्त खराब हो गए जब उन्हें 17 साल की उम्र में एक भारतीय पारसी शख्स नेविली वाडिया से प्यार हो गया और यह जिन्ना को बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हुआ। मगर दीना ने नेविली वाडिया का साथ चुना। जिन्ना को उनके पारसी होने से दिक्कत थी, जबकि उनकी पत्नी और दीना की मां रति एक पारसी थीं और खुले विचारों वाली थीं। दीना जब 10 साल की थीं, तभी वह चल बसीं।
मां के मरने के बाद बुअा ने किया था पालन पोषण
1929 में गंभीर बीमारी के बाद जिन्ना की पत्नी की मौत हो गई, जिसके बाद जिन्ना बेहद दुखी रहने लगे। ऐसे में उन्हें अपनी बहन फातिमा जिन्ना का सहयोग मिला। फातिमा ने ही जिन्ना की बेटी का पालन पोषण किया।
बेटी के फैसले से संबंध हो गए थे खराब
जब दीना ने पारसी व्यवसायी नेविली वाडिया से शादी करने का फैसला किया तो जिन्ना उनसे अलग हो गए, लेकिन उनका निजी संबंध फिर भी बदस्तूर कायम रहा। हालांकि विभाजन के बाद दीना अपने परिवार के साथ भारत में ही रह गईं, जबकि जिन्ना पाकिस्तान चले गए।
जिन्ना की मौत के बाद पहली बार गईं पाकिस्तान
दीना ने नेविली वाडिया से शादी की और जिन्ना से दूर हो गईं। दोनों मुंबई में रहते थे, हालांकि बाद में उनका भी तलाक हो गया। 1948 में जिन्ना की मौत के बाद वह पहली बार पाकिस्तान गईं और उसके बाद 2004 में भी गईं। साथ में उनके बेटे नुस्ली वाडिया और पोते भी थे। आपको बता दें कि नुस्ली वाडिया एक कामयाब भारतीय बिजनेसमैन हैं और पारसी समुदाय के भी प्रभावशाली सदस्य हैं।
पिता के मकबरे पर जाने के बाद दीना ने लिखी किताब
कराची में अपने पिता के मकबरे पर जाने के बाद दीना ने एक किताब भी लिखी थी और उसे अपनी जिंदगी का सबसे कटु अनुभव बताया था। साथ ही कामना की थी कि जिन्ना ने पाकिस्तान के लिए जो सपने देखे थे, वो सब सच हो जाएं।
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