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राज्यसभा से खत्म होगा दिग्विजय का सियासी वनवास

तमाम अटकलों को विराम देते हुए कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह को मध्यप्रदेश से राज्यसभा की एकमात्र सीट के लिए कांग्रेस उम्मीदवार घोषित कर ही दिया। नेतृत्व के इस फैसले के पीछे कई मतलब छिपे हुए हैं और इससे यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गा

By Edited By: Published: Tue, 28 Jan 2014 03:46 AM (IST)Updated: Tue, 28 Jan 2014 08:06 AM (IST)
राज्यसभा से खत्म होगा दिग्विजय का सियासी वनवास

इंदौर, अरविंद तिवारी। तमाम अटकलों को विराम देते हुए कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने आखिरकार पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह को मध्यप्रदेश से राज्यसभा की एकमात्र सीट के लिए कांग्रेस उम्मीदवार घोषित कर ही दिया। नेतृत्व के इस फैसले के पीछे कई मतलब छिपे हुए हैं और इससे यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी अभी भी दिग्विजय सिंह पर बहुत भरोसा करते हैं।

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फरवरी के पहले हफ्ते में होने वाले राज्यसभा के द्विवाषिर्षक चुनाव के लिए मध्यप्रदेश से कांग्रेस को एक सीट मिलना तय माना जा रहा है। इसके लिए पिछले काफी समय से उठापटक चल रही थी। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अरण यादव, महिला कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष शोभा ओझा, पूर्व महाधिवक्ता विवेक तन्खा के साथ ही दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नाम राजनीतिक गलियारों में मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए चर्चा में थे। अभी तक इस परिदृश्य से गायब चल रहे दिग्विजय सिंह का नाम रविवार शाम अचानक चर्चा में आया और 24 घंटे पूरे होने के पहले ही सोमवार शाम उनके नाम की अधिकृत घोषणा हो गई। पार्टी सूत्रों के मुताबिक दिग्विजय को उम्मीदवार बनाने का फैसला राहुल के हस्तक्षेप के चलते ही ऐनवक्त पर हुआ।

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विधानसभा चुनाव के दौरान व नतीजों के बाद प्रदेश में दिग्विजय को पार्टी के ही उनके विरोधियों ने कांग्रेस की राजनीति की मुख्यधारा से अलग--थलग करने में कोई कसर बाकी नहीं रखी थी।

दिग्विजय को राज्यसभा में भेजने के पीछे कई मतलब छुपे हुए हैं। प्रदेश में उनकी सक्रियता बढ़ाने के बजाय नेतृत्व उन्हें दिल्ली में और मजबूत करके राज्यसभा में उनकी मौजूदगी का पूरा फायदा लेना चाहता है। उच्च सदन में उनकी मौजदूगी से अहम मुद्दों पर कांग्रेस अपना पक्ष मजबूती से रख पाएगी।

दिग्विजय आंध्रप्रदेश के प्रभारी भी हैं। वहां कुछ ही महीनों बाद विधानसभा चुनाव होना है। वहां वायआरएस कांग्रेस के जगनमोहन रेड्डी की अतिसक्रियता के चलते कांग्रेस की जो हालत है वह किसी से छुपी हुई नहीं है। दिग्विजय व रेड्डी परिवार के मधुर संबंधों का अहसास कांग्रेस नेतृत्व को है।

सागर से लोकसभा चुनाव लड़ने की तैयारी थी

दिग्विजय की तैयारी सागर से लोकसभा चुनाव लड़ने की थी। नेतृत्व भी उन्हें वहां से उम्मीदवार बनाने पर सहमत था। वे वहां काफी सक्रिय थे और इस क्षेत्र के जातिगत समीकरणों के देखते हुए यह माना जा रहा था कि वे वहां के कांग्रेस के लिए अच्छा नतीजा ला सकते हैं। सागर के कई कांग्रेस नेता भी उनके नाम पर रजामंद थे। दिग्विजय के राज्यसभा में जाने की स्थिति में कांग्रेस को अब सागर के लिए किसी और नाम पर विचार करना होगा।

लोकसभा चुनाव में अहम भूमिका रहेगी

दिग्विजय को राज्यसभा में भेजने के केंद्रीय नेतृत्व के निर्णय को उनकी लोकसभा चुनाव में एक अलग संभावित भूमिका से जोड़कर भी देखा जा रहा है। पार्टी लोकसभा चुनाव में मध्यप्रदेश, आध्रप्रदेश व बिहार सहित अन्य राज्यों में उन्हें सक्रिय भूमिका में देखना चाहती है। यदि वे लोकसभा चुनाव लड़ते तो ऐसा संभव नहीं था। इसी कारण उन्हें राज्यसभा में भेजा गया। अब लोकसभा चुनाव के लिए उनकी नई जिम्मेदारी जवाबदेही के साथ तय होगी।

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