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सेना व धूमल सरकार के बीच तेज हुआ वाकयुद्ध

शिमला स्थित अनाडेल मैदान को लेकर हिमाचल सरकार और सेना के बीच विवाद गहरा गया है। सेना के प्रवक्ता ने शनिवार को चंडीगढ़ में जारी बयान में मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल पर अनाडेल मैदान के संबंध में वन माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाया गया है। सेना ने मैदान पर अपना दावा जताते हुए कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से यह उसी के पास रहना चाहिए, क्योंकि देश के लिए क्रिकेट की बजाय सुरक्षा महत्वपूर्ण है।

By Edited By: Mon, 16 Apr 2012 12:05 AM (IST)
सेना व धूमल सरकार के बीच तेज हुआ वाकयुद्ध

शिमला [जागरण संवाददाता]। शिमला स्थित अनाडेल मैदान को लेकर हिमाचल सरकार और सेना के बीच विवाद गहरा गया है। सेना के प्रवक्ता ने शनिवार को चंडीगढ़ में जारी बयान में मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल पर अनाडेल मैदान के संबंध में वन माफिया को संरक्षण देने का आरोप लगाया गया है। सेना ने मैदान पर अपना दावा जताते हुए कहा कि सुरक्षा की दृष्टि से यह उसी के पास रहना चाहिए, क्योंकि देश के लिए क्रिकेट की बजाय सुरक्षा महत्वपूर्ण है।

सेना के इस बयान पर मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने पलटवार किया और अनाडेल मैदान पर सेना द्वारा जताए जा रहे अधिकार को खारिज कर दिया। उन्होंने सेना के बयान को गुमराह करने वाला करार दिया है और इस वक्तव्य के लिए उत्तारदायी अधिकारियों से बिना शर्त माफी मांगने को कहा है। धूमल ने कहा कि ऐसा न होने पर संबंधित अधिकारियों के विरुद्ध मानहानि का दावा कर उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी। धूमल ने कहा कि तथ्य यह है कि अनाडेल हिमाचल सरकार की पूंजी है और यह मैदान सेना के अवैध कब्जे में है।

धूमल ने कहा कि अनाडेल मैदान सेना के अवैध कब्जे में है और इस संपत्तिकी लीज 30 वर्ष पूर्व ही समाप्त हो चुकी है। केंद्र में जब एनडीए की सरकार सत्ता में थी तो यह मामला उठा था। तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी व रक्षा मंत्री जार्ज फर्नाडीस के साथ सेना के पदाधिकारियों की मौजूदगी में विस्तृत चर्चा हुई थी। निर्णय हुआ था कि सेना को अपनी विभिन्न गतिविधियों के लिए वैकल्पिक भूमि उपलब्ध करवाई जाएगी और अनाडेल को शिमला की खेल गतिविधियों के लिए खाली किया जाएगा। हाल ही में प्रदेश न्यायालय ने प्रदेश सरकार को यह निर्देश दिए हैं कि शहर के युवाओं में खेल गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिए उचित स्थान की तलाश की जाए। इसके लिए शिमला के नागरिकों ने फोरम गठित किया है, जिसमें 14 खेल संघ भी शामिल हैं। फोरम ने विस्तृत हस्ताक्षर अभियान चलाया, जिसमें 1.08 लाख लोगों ने हस्ताक्षर किए। हस्ताक्षरित ज्ञापन मुख्यमंत्री को प्रस्तुत किया गया।

मुख्यमंत्री के व्यक्तिगत पत्र सहित ज्ञापन की प्रतियां प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री को प्रेषित की जा रही हैं, ताकि समुचित कार्रवाई कर मैदान को सेना के कब्जे से मुक्त करवाया जाए।

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