Exclusive: डीएफएस सचिव ने विशेष बातचीत में बताया, जन-धन खाताधारकों को आगे मिल सकती हैं ये सुविधाएं
वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवाएं विभाग (डीएफएस) के सचिव देबाशीष पाण्डा ने कहा कि हमारा प्रयास है कि देश का कोई भी वयस्क बैंक खाते के बिना नहीं रह जाए। खाते खोलने के बाद सभी को सस्ता बीमा पेंशन एवं अन्य वित्तीय उत्पाद उपलब्ध कराना हमारा अगला लक्ष्य है।
नई दिल्ली, जेएनएन। ठीक सात वर्ष पहले प्रधानमंत्री जन-धन योजना की शुरुआत की गई थी ताकि देश में वित्तीय समावेश का काम पूरा हो सके। पिछले सात वर्षो में इस क्षेत्र में काफी हद तक सफलता भी मिली है और अब सरकार जनधन खाताधारकों को आगे की सुविधा देने की तैयारी में है। इस मौके पर वित्त मंत्रालय में वित्तीय सेवाएं विभाग (डीएफएस) के सचिव देबाशीष पाण्डा से दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता राजीव कुमार ने बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश :
प्रश्न: प्रधानमंत्री जन-धन योजना के तहत 43 करोड़ से अधिक लोगों को खाते खोले जा चुके हैं, वित्तीय समावेश को पूरा करने के लिए अगली योजना क्या है?
उत्तर: वित्तीय समावेश एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है जिसके तहत हमारा प्रयास है कि देश का कोई भी वयस्क बैंक खाते के बिना नहीं रह जाए। खाते खोलने के बाद सभी को सस्ता बीमा, पेंशन एवं अन्य वित्तीय उत्पाद उपलब्ध कराना हमारा अगला लक्ष्य है। अभी भी अटल पेंशन योजना व अन्य स्कीम के जरिये यह कोशिश की जा रही है। लेकिन हम इसका दायरा बढ़ाना चाहते हैं और इसे डिजिटल तरीके से अंजाम देने की योजना तैयार की जा रही है। वित्तीय समावेश की सफलता इस बात से भी समझी जा सकती है कि आज देश में 140 करोड़ सक्रिय बचत खाते हैं। इनमें से 62 करोड़ खाते बैंक सेविंग बैंक डिपोजिट (बीएसबीडी) श्रेणी के हैं। इन 62 करोड़ में 43 करोड़ से अधिक जन-धन खाते हैं। जनधन खातों में 55 फीसद खाते महिलाओं के हैं और 67 फीसद खाते ग्रामीण और अर्ध शहरी क्षेत्रों में खोले गए।
प्रश्न: क्या जन-धन खाताधारकों को डिजिटल बैंकिंग व एटीएम जैसी सुविधाएं दी जा रही है?
उत्तर: जन-धन खाताधारक सभी प्रकार की डिजिटल बैंकिंग की सुविधा प्राप्त कर सकते हैं। उन्हें रुपे कार्ड, जो एटीएम एवं डेबिट कार्ड की तरह कार्य करता है, मुफ्त में दिए जा रहे हैं। इन कार्ड पर दो लाख रुपये का मुफ्त दुर्घटना बीमा भी खाताधारकों को प्रदान किया जाता है।
प्रश्न: जन-धन खाताधारकों को कारोबार के लिए क्या अलग से लोन देने की कोई योजना है?
उत्तर: जन-धन योजना के तहत लोगों को 10,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा का प्रविधान है। इसके अलावा ये खाताधारक मुद्रा योजना के तहत भी लोन ले सकते हैं। मुद्रा योजना के तहत अब तक 30 करोड़ से अधिक खातों में 16 लाख करोड़ से अधिक की धनराशि स्वीकृत की गई है।
प्रश्न: ऐसी चर्चा है कि काफी संख्या में जन-धन खाते निष्क्रिय हो गए हैं, क्या यह सही है?
उत्तर: जन-धन योजना के क्रियान्वयन में जुटे लोगों के प्रयासों की वजह से 86 फीसद खाते सक्रिय हैं। निष्क्रिय खातों को सक्रिय करने के लिए खाताधारकों को सिर्फ बैंक शाखा में जाकर एक प्रार्थना पत्र और केवाईसी दस्तावेज देना होता है। जन-धन खाते सक्रिय बने रहें, इसके लिए बैंक मित्रों और शाखाओं के द्वारा खाताधारकों को उनके घर के पास ही बैं¨कग सुविधाएं दी जा रही हैं।
प्रश्न: डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के तहत पिछले वित्त वर्ष कितनी राशि ट्रांसफर की गई और इससे कितनी बचत संभव हो पाई है?
उत्तर: डीबीटी के तहत पिछले वित्त वर्ष में कोरोना काल के दौरान लगभग तीन लाख करोड़ रुपये की राशि खातों में ट्रांसफर की गई। डीबीटी के माध्यम से अब तक लगभग 1,78,000 करोड़ रुपये की बचत संभव हो पाई है। डीबीटी के तहत 54 मंत्रालयों की 312 योजनाओं की रकम लाभार्थियों के खाते में भेजी जा रही है।