Kartik Purnima 2018: गंगा समेत प्रमुख नदियों में श्रद्धालुअों ने लगाई डुबकी
काशी, प्रयाग, हरिद्वार में गंगा के घाट पर श्रद्धालुअों की काफी भीड़ है। लोग गंगा स्नान कर रहे हैं।
नई दिल्ली (जेएनएन)। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा कार्तिक पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है जो आज पूरे देश में मनाई जा रही है। इसे त्रिपुरी पूर्णिमा या गंगा स्नान के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन पवित्र नदी का स्नान, दीपदान, भगवान की पूजा, आरती, हवन और दान का बहुत महत्व है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन गंगा में स्नान करने से पूरे साल जितना गंगा स्नान का फल प्राप्त होता है। मान्यता है कि आज के ही दिन भगवान विष्णु ने मत्स्यावतार लिया था यानी सृष्टि की शुरुआत हुई इसीलिए आज के दिन देव दीपावली भी मनाई जाती है।
नदियों में स्नान के लिए उमड़ी भीड़-
इस दिन गंगा स्नान के बाद दीप दान का पुण्य फल दस यज्ञों के बराबर होता है। यही कारण है आज गंगा, यमुना, सरयू और मंदाकिनी समेत देश की सभी प्रमुख नदियों में डुबकी लगाने के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। काशी, प्रयाग, हरिद्वार में गंगा के घाट पर श्रद्धालुअों की काफी भीड़ है। लोग गंगा स्नान कर रहे हैं। चूंकि पूर्णिमा तिथि दोपहर से पहले तक है ऐसे में सुबह के वक्त घाटों में खासी भीड़ देखने को मिल रही है।
जानिए- कार्तिक पूर्णिमा का महत्व
पूर्णिमा तिथि गुरुवार को अपराह्न 12.16 बजे से शुरू होकर शुक्रवार को पूर्वाह्न 11.28 बजे तक रहेगी लेकिन उदया तिथि की मान्यता के कारण मुख्य स्नान पर्व शुक्रवार को ही माना जाएगा।
कहा जाता है कि इस पूर्णिमा तिथि पर ही भगवान शिव ने राक्षस त्रिपुरासुर का वध किया था। इसलिए इस दिन को त्रिपुरी पूर्णिमा कहा जाता है। इस दिन चंद्रोदय के समय शिव जी और कृतिकाओं की पूजा करने से भगवान शंकर जल्द प्रसन्न होते हैं। इसके साथ ही इस दिन दीप दान का विशेष महत्व है। कार्तिक पूर्णिमा के दिन ही संध्या काल में भगवान विष्णु का मत्स्यावतार हुआ था। इसलिए इस दिन विष्णु जी की पूजा भी की जाती है।
काशी में देव दिपावली की विशेष तैयारी
काशी के अनूठे जलोत्सव को लेकर शासन स्तर तक बढ़ी सक्रियता का ही असर कहेंगे कि इस दिन धर्म-पर्यटन नगरी अनूठे अहसास से भी परिचित होने जा रही है। यह गंगा की लहरों पर लेजर शो के रूप में होगा जिसमें राष्ट्र धर्म व गंगा का मर्म दिखाया जाएगा। इसमें शहर बनारस और देवाधिदेव महादेव भी होंगे। इसका राजघाट पर प्रदर्शन किया जाएगा जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ देवदीपावली उत्सव दर्शन का शुभारंभ करेंगे।
इसके अलावा अस्सी तक के 16 घाटों पर गीत-संगीत गूंजेगा जो इस नगर की खासियतों का दर्शन कराएगा। इसके लिए संस्कृति विभाग की ओर से दस घाटों का चयन किया जा चुका है। घाटवार संस्थाओं व कलाकार दलों की इसकी जिम्मेदारी भी दी जा चुकी है।
हालांकि ये तो सरकारी सांगीतिक आयोजन होंगे लेकिन दशाश्वमेध, शीतलाघाट समेत गंगा के अन्य कई घाटों पर संस्थाओं की ओर से संगीत प्रस्तुतियां होती ही रहती हैं। क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र प्रमुख जयवीर सिंह राठौर के अनुसार लेजर शो की जिम्मेदारी पर्यटन विभाग को दी गई है। नृत्य संगीत का इंतजाम संस्कृति विभाग उन घाटों पर कर रहा है जहां जन आवागमन न बाधित हो। मणियों पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियों को लेकर अधिक जोर है।