सावन का पहला सोमवार आज, ऐसे पूजा करने से हर कष्ट होगा दूर
श्रद्धा, भक्ति और उल्लास का महीना 'सावन' शुरू होते ही प्रकृति की हरियाली अपने यौवन पर आ गई है। वेद-शास्त्रों में इसे श्रद्घा-भक्ति का महीना कहा गया है, वहीं साहित्यकारों ने विविध रूपों में इसके सौंदर्य को उकेरा है। इस माह में शिव आराधना का विशेष महत्व है, इसलिए शिवालयों में श्रद्घालुओं की संख्या बढ़ जाती है। पहले सावन सोमवार पर
नई दिल्ली। श्रद्धा, भक्ति और उल्लास का महीना 'सावन' शुरू होते ही प्रकृति की हरियाली अपने यौवन पर आ गई है। वेद-शास्त्रों में इसे श्रद्घा-भक्ति का महीना कहा गया है, वहीं साहित्यकारों ने विविध रूपों में इसके सौंदर्य को उकेरा है। इस माह में शिव आराधना का विशेष महत्व है, इसलिए शिवालयों में श्रद्घालुओं की संख्या बढ़ जाती है। पहले सावन सोमवार पर देश के सभी शिवालयों में विशेष पूजा-आराधना हो रही है, वहीं कांवरिये जल से शिवलिंग का अभिषेक कर रहे हैं।
सावन के पहले सोमवार के महत्व को समझते हुए बड़ी संख्या में शिवभक्त सोमवार को शिवलिंग पर जलाभिषेक कर शिव जी के प्रति अपनी आस्था प्रकट कर रहे हैं। विद्वानों का मानना है कि इस दिन शिव की अराधना करने से मनोकामना पूरी होती है। वैसे तो सावन के महीने के शुरू होते ही शिव मंदिरों में आम दिनों की अपेक्षा श्रद्धालुओं के अधिक संख्या में आने से रौनक बढ़ने लग जाती है। श्रद्धालु सावन के पहले सोमवार की पूजा को अधिक महत्व देते हैं।
इस महीने में स्वयं भगवान शंकर पृथ्वी पर वास करते हैं। शिवभक्त इस महीने में ही हरिद्वार तथा गंगोत्री से जल लाकर अपने-अपने घरों में स्थापित शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। कुछ श्रद्धालु मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं। जो श्रद्धालु इस माह में रुद्राभिषेक या महामृत्यंजय का जाप करते हैं, वे तन, मन व धन से संपन्न हो जाते हैं। आयु में वृद्धि रहती है। शरीर में कोई कष्ट नहीं रहता। ऐसा शिवपुराण में भी उल्लेख्र है। दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल, बेल पत्तो, बेल फल, आक के फूल, भांग, धतूरा एवं गन्ने के रस से भगवान शंकर का रुद्राभिषेक करने से कष्ट दूर होते हैं और सुख, समृद्धि मिलती है। सोमवार का अलग ही महत्व है।
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