डूब में आए इस गांव के विकास कार्य रुके, युवकों के नहीं हो रहे रिश्ते
गांव के सरपंच प्रहलाद सिंह पाल का कहना है कि वर्ष 2012-13 के बाद से ही गांव में किसी भी तरह के विकास कार्य नहीं हुए हैं। सड़कें पूरी तरह उखड़ चुकी हैं।
रवि श्रीवास्तव, राजगढ़ । कुंडालिया डैम के बैक वाटर से डूब में आ रहे सारंगपुर जनपद पंचायत के शामगीघाटा गांव में पांच साल से सड़क सहित अन्य विकास कार्य हमेशा के लिए बंद हो गए हैं। यहां के 170 में से अभी तक केवल 10 परिवारों को मुआवजा मिला। मुआवजा नहीं मिलने के कारण 160 परिवार दूसरी जगह विस्थापित नहीं हो सके हैं। शासन ने मनरेगा के पोर्टल से इस गांव का नाम भी हटा दिया है। लिहाजा,इस गांव के भविष्य की अनिश्चितता की वजह से यहां के युवकों के रिश्ते नहीं हो रहे हैं।
गांव के राजेंद्र सिंह राजपूत बताते हैं कि गांव में पिछले चार साल में इक्का-दुक्का घरों के युवकों की ही शादी हुई है। रिश्तेदार अब खेती-बाड़ी भी नहीं देख रहे। युवकों के रिश्ते आते हैं,लेकिन गांव की दुर्दशा एवं भविष्य की अनिश्चितता को देखकर इनकी शादी नहीं हो पा रही हैं। ग्रामीण,बने सिंह, रतनलाल, मदनलाल एवं भंवरलाल ने बताया कि डूब में आने की सूचना के बाद से ही गांव में हमने निजी तौर पर भी निर्माण कार्य बंद कर दिए हैं,क्योंकि गांव तो डूबना ही है। ऐसे में फिजूल पैसा क्यों बर्बाद करें। ग्रामीणों का कहना है कि अभी तक मुआवजा नहीं मिलने से असमंजस की स्थिति है। यहां के ग्रामीण पैदल या बाइक से 4 किमी कच्चे रास्ते से लीमा चौहान जाकर वहां के हाट बाजार से सब्जियां लेकर आते हैं लेकिन बारिश में यह रास्ता बंद हो जाता है।
गांव के सरपंच प्रहलाद सिंह पाल का कहना है कि वर्ष 2012-13 के बाद से ही गांव में किसी भी तरह के विकास कार्य नहीं हुए हैं। सड़कें पूरी तरह उखड़ चुकी हैं। हमने गांव के विकास या मुआवजे के लिए भोपाल तक चक्कर काटे,लेकिन आश्वासन ही मिला। नल-जल योजना नहीं होने से महिलाएं हैंडपंप से पानी लाती हैं। ऐसे में गांव के लड़कों के रिश्ते नहीं हो पा रहे हैं।
मनरेगा एपीओ ललित दुबे का कहना है कि सिंचाई एवं राजस्व विभाग की रिपोर्ट के आधार पर भोपाल से दिल्ली रिपोर्ट गई थी कि शामगीघाटा गांव डूब में आया है। रिपोर्ट के आधार पर गांव का नाम विभागीय पोर्टल से हटा दिया है। गांव में वर्ष 2012-13 के बाद से किसी भी प्रकार के निर्माण कार्य स्वीकृत नहीं किए हैं।
सिंचाई परियोजना के ईई कुंडालिया एमके सर्राफ ने कहा कि गांव डूब में आया है। इसका प्रकरण भोपाल में लंबित है। वरिष्ठ स्तर से निर्देश मिलने पर या तो मुआवजा दिया जाएगा या गांव में विकास कार्य चालू कराने के लिए पत्र लिखेंगे।