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छत्तीसगढ़ में विकास का एजेंडा पीछे छूटा, हिंदुत्व की लड़ाई में उलझे नेता

सांप्रदायिक धु्रवीकरण से अछूते माने जाने वाले छत्तीसगढ़ में भी लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान हिंदुत्व की लड़ाई देखने को मिल रही है। यहां विकास का एजेंडा पीछे छूट चुका है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 03:40 PM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 03:40 PM (IST)
छत्तीसगढ़ में विकास का एजेंडा पीछे छूटा, हिंदुत्व की लड़ाई में उलझे नेता

रायपुर,अनिल मिश्रा। सांप्रदायिक धु्रवीकरण से अछूते माने जाने वाले छत्तीसगढ़ में भी लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान हिंदुत्व की लड़ाई देखने को मिल रही है। यहां विकास का एजेंडा पीछे छूट चुका है। सर्जिकल स्ट्राइक, न्याय या इस तरह के दूसरे मुद्दों पर ज्यादा चर्चा नहीं हो रही है। पूरा चुनाव भगवान भरोसे हो गया है। चार माह पूर्व हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ही कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ में सॉफ्ट हिंदुत्व का एजेंडा सेट किया था जिसका फायदा भी कांग्रेस को मिला था। अब लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के बड़े नेता तो नहीं पर स्थानीय नेता और प्रत्याशी सॉफ्ट हिंदुत्व के इसी एजेंडे को आगे बढ़ाते दिख रहे हैं। भाजपा तो खैर पहले से ही हिंदुत्व को मुख्य मुद्दा बनाकर प्रचार करती रही है। शुक्रवार को रायपुर में हनुमान जन्मोत्सव की धूम रही। इस मौके को कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों ने प्रचार के महत्वपूर्ण अवसर के तौर पर इस्तेमाल किया।

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दोनों दलों के प्रत्याशी और उनके समर्थकों को हनुमान मंदिरों में देखा गया। जगह-जगह हनुमान चालीसा के पाठ में भी नेता नजर आए। भोग-भंडारा के बहाने हनुमान भक्तों को राजनीतिकों से चंदा भी मिला और पूजा पंडालों में भीड़ भी राजनीतिकों ने बढ़ा दी। प्रचार के अंतिम चरण में यहां मुद्दे तो नदारद हैं, हां यह जरूर है कि किसी तरह वोटरों को अपने पक्ष में करने के लिए नेता भगवान की शरण में पहुंच गए हैं।

भाजपा के राम या कांग्रेस के
छत्तीसगढ़ को भगवान राम का ननिहाल कहा जाता है। भगवान राम ने अपने वनवास का लंबा वक्त छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य में बिताया था। राम के नाम पर राजनीति का असर यहां कितना होगा यह तो वक्त बताएगा पर यह जरूर है कि राम के नाम की राजनीति से नेता बाज नहीं आ रहे हैं। राहुल गांधी विधानसभा चुनाव के दौरान यहां मंदिर-मंदिर घूमे थे। इस बार राहुल सिर्फ एक बार शनिवार को पहुंचे इसलिए मंदिर का ज्यादा वक्त तो नहीं निकाल पाए, पर उनके नेता जरूर मंदिरों का चक्कर काट रहे हैं। भाजपा नेता तो अब भी मंदिर वहीं बनाएंगे का नारा लगा ही रहे हैं। देखना यह है कि छत्तीसगढ़ के राम भाजपा के होंगे या कांग्रेस के।

कांग्रेस ने मंदिर से ही शुरू की थी न्याय यात्रा
कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ में न्याय रथ निकाला तो इसकी शुरूआत दंतेवाड़ा के शक्तिपीठ मां दंतेश्वरी मंदिर से की। इसके बाद दूसरा चरण रायपुर के बूढ़ेश्वर महादेव मंदिर से और तीसरे चरण की शुरूआत बंजारी धाम में दर्शन करने के बाद की। कांग्रेस की ओर से यहां प्रचार की कमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने थामी है। बघेल डोंगरगढ़ में मां बमलेश्वरी और रतनपुर में मां महामाया का आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। प्रत्याशी और उनके समर्थक टिकट मिलने के बाद, नामांकन दाखिल करने से पहले और प्रचार के दौरान भी मंदिरांे में नजर आए।


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