सुस्ती के बावजूद रेलवे को माल यातायात से ही उम्मीद
बजट में रेलवे के बारे में की गई घोषणाओं पर रेल मंत्रालय की विवेचना के अनुसार इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर मालगाड़ी को रोजाना औसतन 580 किलोमीटर चलना (लीड) जरूरी होगा।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अपनी माली हालत सुधारने के लिए रेलवे का सारा दारोमदार माल ढुलाई पर है। इसलिए चालू वर्ष में लक्ष्य से कम ढुलाई के बावजूद उसने अगले साल के लिए 116.5 करोड़ टन माल ढुलाई का लक्ष्य रखा है। यह चालू वर्ष के संशोधित लक्ष्य के मुकाबले 7.15 करोड़ टन अधिक है। इस माल ढुलाई से उसे 1.18 लाख करोड़ की आमदनी होगी और वह यात्री यातायात व अन्य विविध आमदनियों समेत कुल 1.89 लाख करोड़ की सकल आय अर्जित कर सकेगी।
बजट में रेलवे के बारे में की गई घोषणाओं पर रेल मंत्रालय की विवेचना के अनुसार इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए हर मालगाड़ी को रोजाना औसतन 580 किलोमीटर चलना (लीड) जरूरी होगा। इस कदम के जरिए रेलवे को माल ढुलाई से 1.18 लाख करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी होने की उम्मीद है।चालू वित्तीय वर्ष के दौरान मालगाडि़यों के रोजाना औसतन केवल 568 किलोमीटर दूरी तय करने का अनुमान है। यही वजह है कि इस साल माल यातायात से केवल 1.81 लाख करोड़ रुपये की आय होने की उम्मीद है।
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यात्री गाडि़यों के लिए दैनिक औसत लीड चालू वर्ष की भांति 2017-18 के लिए भी 141.5 किलोमीटर ही रखी गई है। इससे अगले साल भी रेलवे को यात्री यातायात से महज 50,125 करोड़ रुपये की ही आमदनी होगी। चालू वित्तीय वर्ष में भी यात्री यातायात से मात्र 48 हजार करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होने का अनुमान लगाया गया है।
यात्री यातायात के मुकाबले माल यातायात का लक्ष्य बढ़ाए जाने से पता चलता है कि रेलवे यात्री गाडि़यों के बजाय मालगाडि़यों को चलाना चाहती है। क्योंकि इन्हीं से उसकी कमाई है। यात्री गाडि़यों से तो उसे सालाना 35 हजार रुपये का घाटा उठाना पड़ता है। इस तरह रेलवे को उम्मीद है कि 2017-18 में उसे 1.18 लाख करोड़ की माल आय, 50125 करोड़ की यात्री आय, 6494 करोड़ की अन्य कोचिंग आय और 14,122 करोड़ की विविध आय समेत कुल 1.89 लाख करोड़ रुपये की सकल आमदनी होगी। इसमें से 1.80 लाख करोड़ रुपये का राजस्व वह खर्च कर देगी।
दूसरी ओर चालू वित्त वर्ष में (1 अप्रैल- 2016-31 मार्च, 2017 तक) 1.72 लाख करोड़ रुपये की सकल आमदनी हासिल होने की उम्मीद है। इसमें से 1.65 लाख करोड़ विभिन्न मदों में खर्च हो जाएगा। इस तरह रेलवे का प्रचालन अनुपात 94.5 फीसद रहने की आशा है। यानी प्रत्येक एक रुपये की कमाई पर 94.5 पैसे खर्च हो जाएंगे और केवल साढ़े पांच पैसे बचेंगे। वह भी तब जब इस साल उसे लाभांश अदा नहीं करना पड़ा है। इससे पता चलता है कि रेलवे की हालत कितनी खराब हो चुकी है।