पूरे देश में एनआरसी लागू करने की मांग, सुप्रीम कोर्ट मे दाखिल हुई जनहित याचिका
केंद्र सरकार 19 जुलाई 1948 के बाद पाकिस्तान या बांग्लादेश से बिना किसी वैध परमिट के देश में घुसे लोगों का नाम एनआरसी से हटाए।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। एनआरसी को लेकर एक नयी बहस छिड़ती दिख रही है। सुप्रीम कोर्ट मे एक नयी याचिका दाखिल हुई है जिसमें पूरे देश में एनआरसी लागू करने की मांग की गई है। कहा गया है कि केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह गैर-कानूनी ढंग से रह रहे विदेशियों के खिलाफ फारनर्स एक्ट में कार्रवाई करे। साथ ही केंद्र सरकार को निर्देश दिया जाए कि वह नागरिकता अधिनियम की धारा 14ए को लागू करते हुए पूरे देश में एनआरसी लागू करे।
चुनाव आयोग मतदाता सूचियों से विदेशियों के नाम हटाए, सुप्रीम कोर्ट दे निर्देश
यह जनहित याचिका नीरज शंकर सक्सेना सहित कुल सात लोगों ने वकील विष्णु शंकर जैन के जरिये दाखिल की है। यह भी मांग की गई है कि चुनाव आयोग को निर्देश दिया जाए कि वह लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव की मतदाता सूचियों की समीक्षा करे और उनसे विदेशियों के नाम हटाए। मांग है कि सुप्रीम कोर्ट संविधान के अनुच्छेद 142 मे प्राप्त शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए दिशानिर्देश तय करे कि किसी का नाम मतदाता सूची में शामिल करने से पहले उसकी नागरिकता तय की जाए।
अवैध रूप से रह रहे लोगों से देश की एकता और संप्रभुता को खतरा
याचिका में कहा गया है कि कानून के मुताबिक केंद्र सरकार का कर्तव्य है कि वह भारतीय नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर तैयार करे जैसा कि नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 14ए में प्रावधान है। इसके कारण देश के नागरिक बड़ी परेशानी झेल रहे हैं। करोड़ों की संख्या में अवैध रूप से रह रहे लोगों से देश की एकता और संप्रभुता को खतरा है। इतना ही नहीं ये लोग एक भी पैसा टैक्स भरे बगैर सभी सरकारी योजनाओं का लाभ भी ले रहे हैं।
अवैध रूप से रह रहे विदेशी मतदाता सूची में शामिल, ले रहे हैं सरकारी योजनाओं का लाभ
अवैध रूप से रह रहे विदेशियों ने चुनाव आयोग की हीलाहवाली के चलते अपना नाम मतदाता सूची में शामिल करवा लिया है। पाकिस्तान और बांग्लादेश से गैर-कानूनी ढंग से बिना वीजा और परमिट के लोग भारत की भौगोलिक स्थिति बदलने की मंशा से घुस आते हैं। ये फर्जीवाड़ा और गैरकानूनी तरीका अपनाकर अपना नाम मतदाता सूची मे भी शामिल करा लेते हैं, आधार कार्ड, पैन कार्ड राशन कार्ड बनवा लेते हैं। इतना ही नहीं ये लेबर कार्ड, स्वास्थ्य कार्ड और अन्य जरूरी दस्तावेज भी हासिल कर लेते हैं जिसके जरिये ये नौकरी और मनरेगा जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ भी प्राप्त कर लेते हैं। याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट ने हंस मुलर के फैसले में कहा था कि विदेशियों का कोई मौलिक अधिकार नहीं होता।
केंद्र सरकार नागरिकता अधिनियम की धारा 14ए के तहत एनआरसी लागू करे
याचिका में कानूनी सवाल उठाते हुए कहा गया है कि क्या केंद्र सरकार का यह कर्तव्य नहीं है कि वह नागरिकता अधिनियम की धारा 14ए के तहत एनआरसी लागू करे। क्या केंद्र का यह कर्तव्य नहीं है कि वह एनआरसी बनाते समय 19 जुलाई 1948 के बाद पाकिस्तान या बांग्लादेश से बिना किसी वैध परमिट के देश में घुसे लोगों का नाम एनआरसी से हटाए। क्या भारत मे रह रहे विदेशियों की पहचान नहीं होनी चाहिए।