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Civic Body: तीन सदस्यीय प्रशासनिक समिति को कामकाज देखने की इजाजत वाले आदेश में संशोधन की मांग

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ मेयर्स संस्था से कहा कि वह अपनी इस मांग के लिए उसी मामले में हस्तक्षेप अर्जी दाखिल करें जिसमें कोर्ट ने वह आदेश जारी किया था। संस्था ने कोर्ट के गत चार जनवरी के आदेश में संशोधन की मांग की।

By Jagran NewsEdited By: Anurag GuptaFri, 27 Jan 2023 10:37 PM (IST)
Civic Body: तीन सदस्यीय प्रशासनिक समिति को कामकाज देखने की इजाजत वाले आदेश में संशोधन की मांग
तीन सदस्यीय प्रशासनिक समिति को कामकाज देखने की इजाजत वाले आदेश में संशोधन की मांग

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। नगर निकायों का कार्यकाल पूरा होने पर नये निर्वाचन तक तीन सदस्यीय प्रशासनिक समिति को कामकाज देखने के लिए नियुक्त करने की इजाजत देने वाले आदेश में संशोधन की मांग को लेकर ऑल इंडिया काउंसिल ऑफ मेयर्स संस्था सुप्रीम कोर्ट पहुंची है। संस्था की ओर से कोर्ट के गत चार जनवरी के आदेश में संशोधन करने की मांग की गई जिसमें नगर निकाय का कार्यकाल पूरा होने के बाद प्रशासनिक कामकाज देखने के लिए तीन सदस्यीय प्रशासनिक समिति गठित करने की इजाजत दी गई थी।

'दाखिल करें हस्तक्षेप अर्जी'

कोर्ट ने याचिकाकर्ता संस्था से कहा कि वह अपनी इस मांग के लिए उसी मामले में हस्तक्षेप अर्जी दाखिल करें जिसमें कोर्ट ने वह आदेश जारी किया था। ये आदेश प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने मेयर्स संस्था की ओर से पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान और धनंजय गर्ग की दलीलें सुनने के बाद दिया था। इससे पहले श्याम दीवान ने कोर्ट के गत 4 जनवरी के आदेश में बदलाव का अनुरोध करते हुए कहा कि पहले हाई कोर्ट ने आदेश दिया जिसमें कि तीन सदस्यीय प्रशासनिक समिति को रोजाना का कामकाज देखने की इजाजत दी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने गत 4 जनवरी के अंतरिम आदेश में ऐसा कहा।

दीवान ने कहा कि ऐसा आदेश देते समय कोर्ट ने यूपी म्युनिसिपल कॉरपोरेशन एक्ट 1959 की धारा 15 (3) पर विचार नहीं किया जो कहती है कि इस्तीफा देने या अयोग्य होने के अलावा मेयर तब तक पद पर रहेगा जब तक कि उसका उत्तराधिकारी पद धारण नहीं कर लेता। दीवान ने कहा कि यह नियम म्युनिसिपल कॉरपोरेशन के बारे में लागू होता है म्युनिसिपैलिटी पर लागू नहीं होता। उनकी दलीलों पर पीठ ने कहा कि आपने हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ यह विशेष अनुमति याचिका दाखिल की है। इस याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट किसी दूसरे मामले में 4 जनवरी को दिए गए आदेश में संशोधन पर विचार नहीं कर सकता। कोर्ट को इस आदेश में संसोधन की मांग पर पक्षकारों और सरकार का भी पक्ष सुनना होगा।

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कोर्ट ने कहा कि उन्हें उसी मामले में हस्तक्षेप अर्जी दाखिल करनी चाहिए। दीवान ने कहा कि वह जल्दी ही उस मामले में अर्जी दाखिल करेंगे लेकिन कोर्ट उनकी इस याचिका को भी उसी मुख्य मामले के साथ सुनवाई के लिए संलग्न कर दे क्योंकि इस याचिका में भी हाई कोर्ट के उसी 27 दिसंबर के आदेश को चुनौती दी गई है जिसमें ओबीसी आरक्षण लागू किये बगैर चुनाव कराने का हाई कोर्ट ने आदेश दिया था और चुनाव की अधिसूचना रद कर दी थी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल याचिका पर कोई आदेश नहीं दिया और मामले की सुनवाई चार सप्ताह के लिए स्थगित करते हुए याचिकाकर्ता को संबंधित मामले में अर्जी दाखिल करने की छूट दी है।

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