समय से दरवाजे तक न्याय को पहुंचाना है नये उपभोक्ता संरक्षण कानून का लक्ष्य
संसद में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पेश कर लोकसभा से पारित करा लिया गया है, जबकि राज्यसभा की मंजूरी अभी बाकी है। सरकार को पूरी उम्मीद है कि इसी सत्र में विधेयक पारित हो जाएगा।
नई दिल्ली,जेएनएन। नये उपभोक्ता संरक्षण कानून के अमल में आने के बाद उपभोक्ताओं के साथ ठगी करना आसान नहीं होगा। न्यायिक प्रणाली का कार्य निष्पादन और राष्ट्र का विकास परस्पर जुड़े हुए हैं। राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति आरके अग्रवाल ने कहा कि नये उपभोक्ता संरक्षण विधेयक में उपभोक्ता आयोगों को अधिकार संपन्न बनाया गया है।
नये कानून का लक्ष्य न्याय को उपभोक्ता के दरवाजे पर समय से पहुंचाना है। राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर आयोजित समारोह में अग्रवाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर नये नियम जारी किये गये हैं। इसके तहत 21 दिनों के भीतर शिकायत को मंजूर अथवा खारिज करना होगा। मामले की अंतिम सुनवाई के 45 दिनों के भीतर निर्णय सुनाना ही होगा।
उन्होंने कहा कि राज्यों के लिए भी दिशानिर्देश जारी किये गये हैं। इसमें जिला मंचों और राज्यों आयोगों में योग्यता प्राप्त व्यक्तियों की भर्ती करने का प्रावधान है। वर्ष 2018 को 'उपभोक्ताओं की शिकायतों का समय पर निपटान' थीम के साथ मनाया गया। संसद में उपभोक्ता संरक्षण विधेयक पेश कर लोकसभा से पारित करा लिया गया है, जबकि राज्यसभा की मंजूरी अभी बाकी है। सरकार को पूरी उम्मीद है कि इसी सत्र में विधेयक पारित हो जाएगा।
उपभोक्ता मामलों के सचिव अविनाश श्रीवास्ताव ने कहा कि नये बाजार उपभोक्ताओं के लिए चुनौतियां लेकर आये हैं। इससे निपटने के लिए उपभोक्ताओं को जागरुक बनाने का अभियान चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उपभोक्ताओं की शिकायतों को त्वरित निपटान के लिए अनेक ई-कामर्स प्लेटफार्म समेत 480 प्रमुख कंपनियों को साथ जोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण के माध्यम से नया उपभोक्ता संरक्षण विधेयक 2018 और मध्यस्थता से विवादों का त्वरित निपटान हो सकेगा।
पूर्व विधि सचिव सुरेश चंद्र ने इस मौके पर कहा कि उपभोक्ता संरक्षण कानून को और मजबूत बनाने की जरूरत थी, जिसे नया कानून पूरा कर सकता है। दरअसल, स्मार्टफोन की लगातार बढ़ती पैठ और चौबीस घंटे खरीदारी की सुविधा के साथ ई-कामर्स तेजी से आगे बढ़ेगा ही।