उप्र को जमीन के बदले चाहिए मोटी रकम
अपनी विकास योजनाओं को रफ्तार देने के लिए दिल्ली को पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश को मोटी रकम चुकानी पड़ सकती है। कालिंदी बाईपास, जामिया मिलिया इस्लामिया विस्तार सहित अन्य परियोजनाओं से संबंधित जमीन के विवादों को सुलझाने के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व दिल्ली के उपराज्यपाल
राज्य ब्यूरो, नई दिल्ली। अपनी विकास योजनाओं को रफ्तार देने के लिए दिल्ली को पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश को मोटी रकम चुकानी पड़ सकती है। कालिंदी बाईपास, जामिया मिलिया इस्लामिया विस्तार सहित अन्य परियोजनाओं से संबंधित जमीन के विवादों को सुलझाने के मुद्दे पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग के बीच बैठक हुई, जिसमें दोनों राज्यों के बीच कोई सहमति कायम नहीं हो सकी। अलबत्ता यह जरूर तय किया गया है कि दोनों प्रदेशों के मुख्य सचिव आगे बैठक कर विवाद को सुलझाएंगे।
बता दें कि दिल्ली और उत्तर प्रदेश के बीच जमीन को लेकर कई स्थानों पर विवाद है। पड़ोसी राज्य होने से दिल्ली की सीमाएं उत्तर प्रदेश से लगती हैं और लाजिमी तौर पर जमीन को लेकर दोनों प्रदेशों में कुछ विवाद हैं। ऐसे तमाम विवादित मामलों को सुलझाने के लिए मंगलवार को उत्तर प्रदेश सदन में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व उपराज्यपाल जंग के बीच बैठक आयोजित की गई थी। इसमें दिल्ली के मुख्य सचिव डीएम स्पोलिया व उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन के अलावा कई अन्य अधिकारी भी मौजूद थे। अधिकारियों की मानें तो इस बैठक में कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जा सका।
अरबों रुपये चुकाने पड़ेंगे
बैठक के बाद जंग ने कहा कि दोनों प्रदेश जमीन विवाद का हल आपसी बातचीत से निकाल लेंगे लेकिन उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने दो टूक कहा कि प्रदेश को दिल्ली की विकास परियोजनाओं को जमीन देने में कोई गुरेज नहीं है लेकिन शर्त यह है कि जमीन के बदले दिल्ली को यहां के सर्किल रेट के अनुसार भुगतान करना पड़ेगा। जाहिर है कि दिल्ली सरकार को यह शर्त मंजूर नहीं होगी क्योंकि यदि इस आधार पर जमीन ली गई तो दिल्ली सरकार को अरबों रुपये चुकाने पड़ेंगे।
योजना पूरी करने के लिए जमीन जरूरी
उच्चपदस्थ सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार को अपनी कालिंदी बाईपास परियोजना को पूरा करने के लिए उत्तर प्रदेश की जमीन चाहिए। इसी प्रकार जामिया मिलिया इस्लामिया परिसर का विस्तार कर यहां पर एक मेडिकल कॉलेज व अन्य संस्थानों के निर्माण के लिए भी उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग की जमीन चाहिए। इनके अलावा भी करीब आधा दर्जन स्थानों पर दोनों प्रदेशों के बीच जमीन का विवाद है।
सस्ते में छोड़ने के मूड में नहीं उप्र
दिल्ली सरकार के अधिकारियों की कोशिश है कि दो सरकारों के बीच जिस प्रकार सस्ती दर पर विकास परियोजनाओं के लिए जमीन का आदान-प्रदान होता है, उसी प्रकार उसे भी पड़ोसी उत्तर प्रदेश से जमीन मिल जाए। लेकिन पड़ोसी राज्य के कड़े तेवरों से साफ है कि वह भी दिल्ली को सस्ते में छोड़ने के मूड में नहीं है।
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