सर्दी में बढ़ी आश्रय घरों की मांग, जानें किस राज्य के हालात अच्छे और कौन है फिसड्डी
दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय पोषाहार मिशन के तहत यह काम सिरे चढ़ाया जा रहा है। उनका कहना था कि सर्दी के दिनों में आश्रय घरों की मांग में तेजी से बढ़ोतरी होती है।
नई दिल्ली (प्रेट्र)। केंद्रीय आवास व शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि आश्रय घर बनाने के मामले में दिल्ली अव्वल है तो उत्तर प्रदेश फिसड्डी है। राज्यसभा में एक सवाल के जवाब में उन्होंने कुछ दिनों पहले यह जानकारी दी थी। पुरी ने बताया कि आश्रय घर बनाने के मामले में केंद्र 75 फीसद आर्थिक सहायता मुहैया कराता है तो राज्यों को 25 फीसद हिस्सा वहन करना होता है। विशेष दर्जा वाले प्रदेशों के मामले में केंद्र की तरफ से 90 फीसद सहायता दी जाती है।
सर्दी में आश्रय घरों की मांग बढ़ी
उनका कहना था कि इस मामले में उप्र का रिकार्ड सबसे खराब है। वहां कुल 92 आश्रय घर स्वीकृत किए गए थे, लेकिन अभी तक केवल पांच ही काम कर रहे हैं। दिल्ली में 216 घर स्वीकृत थे और यहां पर 201 फिलहाल काम कर रहे हैं। मध्य प्रदेश ने भी बेहतरीन काम किया है। स्वीकृत आश्रय घर यहां पर 133 हैं और इसमें से 129 काम कर रहे हैं। उनका कहना था कि मोदी सरकार इस मामले में गंभीर है और लगातार राज्यों से बात करके आश्रय घर बनवा रही है। दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय पोषाहार मिशन के तहत यह काम सिरे चढ़ाया जा रहा है। उनका कहना था कि सर्दी के दिनों में आश्रय घरों की मांग में तेजी से बढ़ोतरी होती है।
बुनियादी सुविधाएं
दिल्ली में सर्दी का प्रकोप बढ़ने के बाद भी बेघरों के लिए मुश्किलें बढ़ गई हैं। इसके लिए दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में बने आश्रयघरों में सुविधाएं बढ़ाई जा रही हैं। उन्हें बिजली, पानी व शौचालय की सुविधा भी दी जा रही है।
लक्ष्य 2022
केंद्र ने 2022 तक सबको आवास देने की घोषणा की है, जिसके तहत आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरी गरीबों के लिए 5.4 लाख से अधिक सस्ते मकान बनाने को मंजूरी दी है। मंत्रालय से मिली आधिकारिक जानकारी के अनुसार इन नए मकानों को बनाने में 31,003 करोड़ रुपए का खर्च का अनुमान लगाया गया था। इसमें से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत केंद्र सरकार की ओर से कुल 37,42,667 घर बनाए जाने की योजना थी।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक समिति का गठन किया है। शहरी बेघरों की स्थिति को देखने वाली समिति की रिपोर्ट है कि आश्रय घरों को बनाने में राज्य विशेषकर केंद्र शासित प्रदेश फिसड्डी हैं। इसकी देखरेख भी ठीक से नहीं की जा रही।
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