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Delhi High Court: यूसीसी पर दिल्ली HC आज करेगा सुनवाई, सुप्रीम कोर्ट ने किए हाथ खड़े; 'हम कुछ नहीं कर सकते'

Delhi High Court दिल्ली उच्च न्यायालय ने समान नागरिक संहिता (UCC) की मांग करने वाली याचिका के मामले में आज सुनवाई करेगी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस बाबत फैसला कर दिया है कि वह इस मामले में कुछ नहीं कर सकता। सुप्रीम कोर्ट की एक बैंच के वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर जेंडर न्यूट्रल और रिलीजन न्यूट्रल की याचिका को खारिज कर दिया था।

By Jagran NewsEdited By: Prince SharmaPublished: Fri, 01 Dec 2023 12:02 AM (IST)Updated: Fri, 01 Dec 2023 12:02 AM (IST)
अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर 'जेंडर न्यूट्रल' और 'रिलीजन न्यूट्रल' की याचिका को खारिज कर दिया था।

पीटीआई, नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय समान नागरिक संहिता (UCC) की मांग करने वाली याचिका के मामले में आज सुनवाई करेगी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस बाबत फैसला कर दिया है कि वह इस मामले में कुछ नहीं कर सकता।

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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मार्च में सुप्रीम कोर्ट की एक बैंच ने अदालत की एक पीठ ने पहले ही वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर 'जेंडर न्यूट्रल' और 'रिलीजन न्यूट्रल' की याचिका को खारिज कर दिया था।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई इसलिए हुई थी स्थगित

कोर्ट ने याचिकाओं पर आगे की सुनवाई यह कहते हुए टाल दी कि कार्यवाही के दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से कोई भी उपस्थित नहीं हुआ। इसके साथ ही उपाध्याय को अभी तक सुप्रीम कोर्ट ने वो दस्तावेज नहीं पेश किए, जिनका जिक्र किया गया था।

साल 2019 के मई माह में होई कोर्ट ने राष्ट्रीय एकता, लैंगिक न्याय और समानता और महिलाओं की गरिमा को बढ़ावा देने के लिए यूसीसी का मसौदा तैयार करने के लिए न्यायिक आयोग के गठन की मांग करने वाली उपाध्याय की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा था।

क्या है समान नागरिक संहिता क्या है (What is Uniform Civil Code)

समान नागरिक संहिता पूरे देश के लिए एक कानून सुनिश्चित करेगी, जो सभी धार्मिक और आदिवासी समुदायों पर उनके व्यक्तिगत मामलों जैसे संपत्ति, विवाह, विरासत और गोद लेने आदि में लागू होगा। इसका मतलब यह है कि हिंदू विवाह अधिनियम (1955), हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम (1956) और मुस्लिम व्यक्तिगत कानून आवेदन अधिनियम (1937) जैसे धर्म पर आधारित मौजूदा व्यक्तिगत कानून तकनीकी रूप से भंग हो जाएंगे।

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