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जस्टिस अनिरुद्ध के दिल्ली हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनने में फंस सकता है पेच

सुप्रीम कोर्ट कोलीजियम ने गत 10 जनवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस अनिरुद्ध बोस को दिल्ली हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश सरकार को भेजी थी।

By Sachin BajpaiEdited By: Published: Tue, 05 Jun 2018 10:09 PM (IST)Updated: Tue, 05 Jun 2018 10:09 PM (IST)
जस्टिस अनिरुद्ध के दिल्ली हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनने में फंस सकता है पेच
जस्टिस अनिरुद्ध के दिल्ली हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनने में फंस सकता है पेच

माला दीक्षित, नई दिल्ली। सरकार और न्यायपालिका के बीच नया टकराव बढने के आसार नजर आ रहे हैं। जस्टिस केएम जोसेफ का मामला अभी निपटा नहीं है और कलकत्ता हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस अनिरुद्ध बोस को दिल्ली हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाए जाने की कॉलीजियम की सिफारिश में भी अब पेंच फंस सकता है। जस्टिस बोस के लिए फिलहाल दिल्ली दूर दिख रही है।

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सुप्रीम कोर्ट कॉलीजियम ने गत 10 जनवरी को कलकत्ता हाईकोर्ट के वरिष्ठ न्यायाधीश जस्टिस अनिरुद्ध बोस को दिल्ली हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने की सिफारिश सरकार को भेजी थी। कॉलीजियम का कहना था कि उसने जस्टिस बोस को दिल्ली हाईकोर्ट का चीफ जस्टिस बनने के लिए उपयुक्त पाया है। दिल्ली हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश का पद 13 अप्रैल 2017 को न्यायाधीश जी. रोहिणी के सेवानिवृत होने के बाद से खाली है।

जस्टिस बोस को दिल्ली हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाये जाने की कॉलीजियम की सिफारिश जनवरी से सरकार के पास लंबित है। सरकार के सूत्र बताते हैं कि जस्टिस बोस को दिल्ली हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश बनाने में पेंच फंस सकता है। उन्हें दिल्ली के बजाए किसी और उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बनाने की बात हो सकती है। हालांकि सरकार स्वयं से ये फैसला नहीं कर सकती है ऐसे में जस्टिस बोस का नाम पुनर्विचार के लिए कॉलीजियम को वापस भेजा जा सकता है।

सरकार और न्यायपालिका के बीच उत्तराखंड हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस केएम जोसेफ को लेकर पहले ही प्रतिष्ठा की लड़ाई चल रही है। सरकार ने जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट जज नियुक्त करने की सिफारिश पुनर्विचार के लिए कॉलीजियम को वापस भेज दी थी। सरकार का कहना है कि वह आल इंडिया वरिष्ठता में 42वें और चीफ जस्टिस की वरिष्ठता में 11वें नंबर पर है। इसके अलावा वे मूलता केरल हाईकोर्ट से हैं और केरल का पहले ही सुप्रीम कोर्ट में पर्याप्त प्रतिनिधित्व है जबकि कई ऐसे प्रान्त हैं जिनका प्रतिनिधित्व नहीं है। कोलीजियम को इस पर भी विचार करना चाहिए। सरकार से जोसेफ की सिफारिश वापस आने के बाद न्यायपालिका में कड़ी प्रतिक्रिया हुई थी। पहले तो लंबे समय तक सिफारिश दबाकर बैठने पर आपत्ति जताते हुए जस्टिस कुरियन जोसेफ ने मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा को पत्र लिख कर आपत्ति जताई थी और मामले पर सात जजों की पीठ में विचार करने की बात कही थी।

सिफारिश वापस आने के बाद जस्टिस जे चेलमेश्वर ने मुख्य न्यायाधीश और कॉलीजियम के साथी जजों को पत्र लिख कर जस्टिस जोसेफ का नाम दोबारा भेजने की बात कही थी। इसके बाद कोलीजियम की बैठक में जस्टिस जोसेफ का नाम दोबारा भेजे जाने की सैद्धांतिक सहमति भी बन गई। हालांकि कुछ अन्य उच्च न्यायालयों के प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए और नामों पर विचार होने तक जोसेफ की औपचारिक सिफारिश भेजने का मसला टाल दिया गया था। अब जस्टिस बोस का नया मामला खुलता नजर आ रहा है।


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