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हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा दायर मानहानि केस में दिल्ली के डिप्टी सीएम को SC से नहीं मिली राहत, वापस लिया याचिका

सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को राहत नहीं मिली है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा दायर मानहानि मामले को रद करने की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है।

By AgencyEdited By: Piyush KumarMon, 12 Dec 2022 03:30 PM (IST)
हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा दायर मानहानि केस में दिल्ली के डिप्टी सीएम को SC से नहीं मिली राहत, वापस लिया याचिका
दिल्ली के डिप्टी सीएम को सुप्रीम कोर्ट की तरफ से राहत नहीं मिली है।

नई दिल्ली, एजेंसी। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को राहत नहीं मिली है। समाचार एजेंसी एएनआइ के मुताबिक, असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा दायर मानहानि मामले को रद करने की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया है। इसके बाद सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट से याचिका वापस ले ली। वहीं, कोर्ट ने याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी। दरअसल असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा द्वारा दायर दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ आपराधिक मानहानि मामले में मुकदमे दायर किया गया था।

Sarma filed defamation case against Sisodia for allegedly making defamatory statement against him pic.twitter.com/iv1RyDLBTx— ANI (@ANI) December 12, 2022

मनीष सिसोदिया ने हिमंत बिस्वा सरमा की पत्नी पर लगाया था भ्रष्टाचार का आरोप 

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की पत्नी रिंकी भुइयां सरमा ने मंगलवार को दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया के खिलाफ सिविल जज कोर्ट (कामरूप मेट्रो) गुवाहाटी में 100 करोड़ रुपये का दीवानी मानहानि का मुकदमा दायर किया है। बता दें कि तब असम के स्वास्थ्य मंत्री रहे हिमंत बिस्व सरमा ने अपनी पत्नी और बेटे के व्यापारिक साझेदारों की कंपनियों को पीपीई किट (PPE Kit) की आपूर्ति करने के लिए ठेके दिये थे। मनीष सिसोदिया ने उनकी पत्नी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। सिसोदिया ने कहा कि तत्‍कालीन स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री सरमा का परिवार कोरोनाकाल में पीपीई किट की आपूर्ति से संबंधित कथित कदाचार में शामिल था। हालांकि, असम सरकार ने खुद पर लगे इस आरोप का खंडन किया है ।

इस मामले पर हिमंत बिस्‍वा सरमा ने अपने परिवार पर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए कहा था, 'एक ऐसे समय में जब पूरा देश 100 से अधिक वर्षों में सबसे खराब महामारी का सामना कर रहा था, उस समय असम के पास शायद ही कोई पीपीइ किट थी। मेरी पत्नी ने आगे आने का साहस दिखाया और लगभग 1,500 पीपीइ किट मुफ्त में दान कर दीं। जान बचाने के लिए सरकार को कीमत चुकानी पड़ी। उसने एक पैसा भी नहीं लिया।'