भगोड़े माल्या के प्रत्यर्पण पर हो रही देरी पर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा, कारणों का नहीं है पता
शराब कारोबारी व भगोड़े विजय माल्या के प्रत्यर्पण मामले पर केंद्र सरकार का कहना है कि उसे ब्रिटेन में चल रही गुप्त कार्यवाही की कोई जानकारी नहीं है जो कि उसके प्रत्यर्पण में देरी कर रही है ।
नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट में सोमवार को भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के मामले पर सुनवाई हुई। भारतीय विदेश मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि भगोड़े व्यापारी विजय माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश ब्रिटेन की सर्वोच्च अदालत ने दिया था लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ। इस मामले पर केंद्र सरकार का कहना है कि उसे ब्रिटेन में चल रही गुप्त कार्यवाही और कारणों की जानकारी नहीं है जो माल्या के प्रत्यर्पण में देरी कर रही है।
वहीं, पिछले दिनों भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या की कंपनी यूनाइटेड ब्रेवरीज (होल्डिंग) लिमिटेड ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि वह विभिन्न भारतीय बैकों को बकाया रकम चुकाने के लिए 14 हजार करोड़ रुपये देने के लिए तैयार है। कंपनी ने यह भी कहा था कि उसकी कुल संपत्ति उस पर बकाया कर्ज से अधिक है।
जस्टिस यूयू ललित, विनीत सरन और आर रवींद्र भट की खंडपीठ के समक्ष माल्या की कंपनी यूनाइटेड ब्रेवरीज की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सीएस वैद्यनाथन ने कहा था कि उन्हें बैंकों का जवाब मिल गया है। इस दौरान उन्होंने कहा था कि चूंकि गणना में पाया गया है कि कंपनी की कुल संपत्ति उस पर बकाया कर्ज से ज्यादा है, इसलिए कंपनी को अपना कामकाज समेटने के लिए निर्देशित नहीं किया जा सकता है।
बता दें कि भगोड़े शराब कारोबारी माल्या ने बंद हो चुकी अपनी एयरलाइंस कंपनी किंगफिशर के लिए बैंकों से नौ हजार करोड़ रुपये का कर्ज लिया था। लेकिन कर्ज चुकाए बिना ही लंदन भाग गया। लंदन में उसके प्रत्यर्पण के लिए केस चल रहा है। फिलहाल प्रत्यर्पण के मामले में माल्या के सामने सभी कानूनी रास्ते बंद हो चुके हैं। ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की उसकी याचिका मई में खारिज कर दी गई थी। हालांकि अभी उसके प्रत्यर्पण को लेकर अनिश्चितता कायम है, क्योंकि ब्रिटिश सरकार ने माल्या की तरफ से शरण मांगने संबंधी आवेदन को लेकर कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की है।