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क्रेडिट अंक पूरे तो मिल जाएगा डिग्री-डिप्लोमा, किसी कोर्स के लिए नहीं होगी अवधि पूरी करने की बाध्यता

डिग्री डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के लिए अब समय नहीं बल्कि क्रेडिट का मानक पूरा करना होगा यानी उच्च शिक्षा के किसी कोर्स के लिए छात्र-छात्राओं पर यह बाध्यता नहीं होगी कि उन्हें कोई डिग्री-डिप्लोमा इतनी अवधि की पढ़ाई के बाद ही मिल सकती है। फाइल फोटो।

By Jagran NewsEdited By: Sonu GuptaPublished: Thu, 08 Jun 2023 09:19 PM (IST)Updated: Thu, 08 Jun 2023 09:19 PM (IST)
क्रेडिट अंक पूरे तो मिल जाएगा डिग्री-डिप्लोमा। फाइल फोटो।

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के लिए अब समय नहीं बल्कि क्रेडिट का मानक पूरा करना होगा यानी उच्च शिक्षा के किसी कोर्स के लिए छात्र-छात्राओं पर यह बाध्यता नहीं होगी कि उन्हें कोई डिग्री-डिप्लोमा इतनी अवधि की पढ़ाई के बाद ही मिल सकती है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति की भावना के अनुरूप विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की एक समिति ने इस आशय की सिफारिश की है, जिस पर क्रियान्वयन के साथ उच्च शिक्षा में पढ़ाई का ढांचा पूरी तरह बदल जाएगा।

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यूजीसी ने गठन किया था विशेषज्ञों की एक समिति

यूजीसी ने डिग्री की विशेषताओं संबंधी नियम-कायदों की समीक्षा तथा डिग्री-डिप्लोमा के लिए नई नाम प्रणाली तय करने के लिए विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया था।

क्रेडिट फ्रेमवर्क के आधार मिलेंगे प्रमाणपत्र

समिति ने कहा है कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में उच्च शिक्षा के ढांचे में जिस तरह एंट्री और एक्जिट के कई प्रविधान किए गए हैं और नेशनल क्रेडिट फ्रेमवर्क तथा अंडरग्रेजुएट कार्यक्रमों के लिए राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क व कैरिकुलम की व्यवस्था की गई है, उसे देखते हुए अंडर ग्रेजुएट सर्टिफिकेट, अंडरग्रेजुएट डिप्लोमा और पोस्ट ग्रेजुएट डिप्लोमा के स्तर पर पात्रता को मान्यता देने की जरूरत है। इसका मतलब है कि क्रेडिट फ्रेमवर्क के आधार पर अलग-अलग स्तर पर प्रमाणपत्र हासिल किए जा सकेंगे।

विशेष समिति ने क्या कहा?

समिति ने कहा है कि अगर कोई विद्यार्थी किसी कोर्स के लिए जरूरी क्रेडिट हासिल कर लेता है तो उसे उस आधार पर सर्टिफिकेट, डिप्लोमा अथवा डिग्री प्रदान की जा सकती है, भले ही उस कोर्स के लए न्यूनतम समयावधि कुछ भी हो। डिग्री के लिए नामपद्धति अंतरराष्ट्रीय नियमों के अनुरूप होगी।

नाम पद्धति लागू करने की आवश्यकता

समिति ने मौजूदा समय की जरूरतों और उभरती सामाजिक आवश्यकताओं के अनुरूप नई नाम पद्धति लागू करने की भी बात कही है। उसके अनुसार इस आशय का प्रस्ताव यूजीसी के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा, लेकिन विश्वविद्यालयों को अपने प्रस्ताव के साथ उसका औचित्य भी साबित करना होगा।

समिति ने क्या दिया सुझाव

इस तरह के प्रस्तावों पर विचार करने के लिए जो स्थायी समिति होगी, वह सभी मामलों पर विचार करेगी और फिर आयोग को अपनी सिफारिशें सौंपेगी। समिति ने सुझाव दिया है कि यूजीसी अपनी सभी अधिसूचनाओं को प्रकाशित करे, जिसके साथ डिग्री, डिप्लोमा और सर्टिफिकेट के नामों की पूरी सूची होगी। इसमें सभी पहले वाली डिग्री को भी शामिल किया जाना चाहिए जिससे विद्यार्थियों को संदर्भ समझने के लिए स्पष्टता रहे।


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