रक्षा मंत्रालय ने स्पेन की एयरबस के साथ करोड़ों रुपये के सौदे पर किया हस्ताक्षर, आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा बढ़ावा
सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने इस महीने की शुरुआत में ही वायु सेना के लिए इन 56 परिवहन विमानों की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। भारतीय वायुसेना की परिहवन क्षमता और गति को बढ़ाने के लिहाज से इन विमानों की खरीद एक महत्वपूर्ण रक्षा सौदा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारतीय वायुसेना के परिवहन बेड़े के आधुनिकीकरण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए रक्षा मंत्रालय ने स्पेन की कंपनी एयरबस डिफेंस एंड स्पेस के साथ 56 सी-295 एमडब्ल्यू सैन्य परिवहन विमान खरीदने का करार किया है। पांच से दस टन भार ढोने की क्षमता वाले ये विमान भारतीय वायुसेना के पुराने हो चुके एवरो परिवहन विमानों की जगह लेंगे।
रक्षा मंत्रालय ने एयरबस के साथ शुक्रवार को करीब 22,000 करोड़ रुपये के इस सौदे के अनुबंध पर हस्ताक्षर किया। इसके तहत 16 सी-295एमडब्ल्यू विमान पूरी तरह उड़ान भरने के लिए तैयार स्थिति में भारत लाए जाएंगे। जबकि आत्मनिर्भर भारत के अभियान को मजबूती देने के लिए टाटा कंसोर्टियम एयरबस डिफेंस के साथ बाकी 40 विमानों का भारत में निर्माण करेगा।
रक्षा मंत्रालय ने इस खरीद करार के साथ ही एयरबस डिफेंस और टाटा एडवांस्ड सिस्टम के सी-295 परिवहन विमान बनाने के संयुक्त प्रोजेक्ट को भी हरी झंडी दे दी है। खरीद सौदे के साथ ही रक्षा मंत्रालय ने एयरबस डिफेंस के एंड स्पेस से एक आफसेट कांट्रेक्ट भी किया है जिसके तहत एयरबस अपने भारतीय साझीदारों से जरूरी उपकरणों की खरीद और सेवाएं लेगी।
कैबिनेट ने इसी महीने खरीद प्रस्ताव को दी थी मंजूरी
सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने इस महीने की शुरुआत में ही वायु सेना के लिए इन 56 परिवहन विमानों की खरीद के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। भारतीय वायुसेना की परिहवन क्षमता और गति को बढ़ाने के लिहाज से इन विमानों की खरीद एक महत्वपूर्ण रक्षा सौदा है।
सी-295 एमडब्ल्यू की खासियतें
सी-295एमडब्ल्यू परिवहन विमान की खास बात यह है कि इसके पीछे के हिस्से में रैंप डोर है जो सैनिकों या सामान की तेजी से पैरा ड्रापिंग के लिए पूरी तरह मुफीद है। ये विमान आधे अधूरे एयर स्टि्रप से भी आसानी से उड़ान भर सकते हैं। इन विमानों के आने के बाद वायुसेना की एयरलिफ्ट रणनीतिक क्षमता को काफी मजबूती मिलेगी। विशेषकर उत्तर और पूर्वोत्तर के सेक्टर के साथ ही अंडमान और निकोबार द्वीप में।
टाटा कंसोर्टियम दूसरे देशों को भी बेच सकेगा ये विमान
इन सभी 56 विमानों को स्वदेश निर्मित इलेक्ट्रानिक वारफेयर सुइट से लैस किया जाएगा। वायुसेना को सभी विमानों की आपूर्ति करने के बाद टाटा कंसोर्टियम उन देशों को इन विमानों को बेच भी सकेगा जिन देशों को बेचने पर भारत सरकार को कोई आपत्ति नहीं होगी।
आत्मनिर्भर भारत को मिलेगा बढ़ावा
इस सौदे से आत्मनिर्भर भारत अभियान के साथ ही देश में एरोस्पेस निर्माण इको सिस्टम को बढ़ावा मिलेगा क्योंकि एमएसएमई सेक्टर की कई कंपनियां इन एयरक्राफ्ट के कल-पुर्जो के निर्माण से जुड़ेंगी। भारत के निजी क्षेत्र को तकनीकी रूप से बेहद प्रतिस्पर्धी विमानन उद्योग में प्रवेश का मौका मिलेगा।
आयात पर निर्भरता होगी कम
इस करार का एक दूसरा पहलू यह भी होगा कि घरेलू एविएशन निर्माण के बढ़ने से आयात पर अत्यधिक निर्भरता कम होगी। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक सौदे के तहत विमानों की आपूर्ति पूरी होने से पहले भारत में सी-295 एमडब्ल्यू विमानों के लिए एक सर्विसिंग और मरम्मत केंद्र बनाया भी जाएगा।
रोजगार के अवसर पैदा होंगे
इस सौदे से रोजगार के अवसर पैदा होंगे। इससे प्रत्यक्ष रूप से 600 अत्यधिक कुशल नौकरियां, 3,000 से अधिक अप्रत्यक्ष रोजगार और 3,000 अतिरिक्त मध्यम कौशल रोजगार के अवसर पैदा होने की उम्मीद है।
रतन टाटा ने अहम कदम बताया
टाटा संस के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने इस करार पर रक्षा मंत्रालय और टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स को ट्वीट कर बधाई दी। उन्होंने कहा कि एयरबस डिफेंस और टाटा के बीच स्थापित संयुक्त परियोजना को विमान बनाने के लिए मंजूरी देना भारत में विमानन एवं एवियोनिक्स परियोजनाओं के लिए अवसर खोलने की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि यह अपनी तरह की पहली परियोजना है जिसमें एक निजी कंपनी द्वारा भारत में सैन्य विमान का निर्माण किया जाएगा।