रक्षा मंत्रालय ने भ्रष्ट आचरण को लेकर पिलैटस एयरक्राफ्ट लिमिटेड के साथ सभी सौदे निलंबित किए
रक्षा मंत्रालय ने स्विटजरलैंड की विमान निर्माता कंपनी पिलैटस एयरक्राफ्ट लिमिटेड के साथ सभी बिजनेस डील्स को एक साल तक के लिए निलंबित कर दिया है।
नई दिल्ली, एजेंसी। रक्षा मंत्रालय ने स्विटजरलैंड की विमान निर्माता कंपनी पिलैटस एयरक्राफ्ट लिमिटेड के साथ सभी बिजनेस डील्स को एक साल तक के लिए निलंबित कर दिया है। सरकार ने भगोड़े हथियार डीलर संजय भंडारी को काम पर रखने को अनुबंध की पवित्रता का उल्लंघन मानते हुए यह फैसला लिया है। रक्षा मंत्रालय के मुताबिक, सीबीआई, दिल्ली पुलिस, ईडी और आयकर विभाग की जांच में कंपनी को गैर कानूनी गतिविधियों और भ्रष्ट आचरण में लिप्त होने की बात सामने आई है।
बता दें कि संजय भंडारी यूपीए सरकार के दौरान वायुसेना के लिए कुल 2895 करोड़ रुपये के 75 ट्रेनर विमान खरीदने में 350 करोड़ रुपये से अधिक की दलाली के मामले में आरोपी है। बीते दिनों सीबीआई ने संजय भंडारी समेत वायुसेना एवं रक्षा मंत्रालय के अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज की थी। साथ ही CBI ने दिल्ली, नोएडा और गाजियाबाद में कुल नौ स्थानों पर छापा मारा था, जिसमें संजय भंडारी का घर और ट्रेनर विमान बनाने वाली स्विस कंपनी पिलैटस का दफ्तर भी शामिल है।
सीबीआइ ने 2012 में खरीदे गए 75 ट्रेनर विमान में घोटाले के आरोपों की प्रारंभिक जांच तीन साल पहले शुरू की थी। प्रारंभिक जांच के दौरान खरीद प्रक्रिया के दौरान पिलैटस और संजय भंडारी के बीच आपराधिक साजिश के पुख्ता सबूत मिले। इसके साथ ही पिलैटस की ओर संजय भंडारी से जुड़ी कंपनियों के दिल्ली और दुबई स्थित खाते में सैंकड़ों करोड़ रुपये जमा कराए जाने के भी सबूत मिले। इन्हीं सबूतों के आधार पर CBI ने एफआइआर दर्ज करने का फैसला किया था।
CBI की एफआइआर के अनुसार 2008-09 में संप्रग सरकार के दौरान वायुसेना 75 ट्रेनर विमान खरीदने का फैसला लिया गया था। इसके बाद स्विटजरलैंड की कंपनी पिलैटस ने संजय भंडारी की कंपनी आफसेट इंडिया के साथ इसमें मदद करने के लिए करार किया। करार करने के साथ ही पिलैटस ने आफसेट इंडिया के दिल्ली स्थित स्टैनडर्ड चार्टर्ड बैंक के खाते में दो बार में सात करोड़ रुपये जमा करा दिये। इसके बाद वायुसेना और पिलैटस के बीच 75 ट्रेनर विमान खरीदने पर करार हुआ। करार में पिलैटस ने जानबूझकर संजय भंडारी की सेवाएं लेने की बात नहीं बताई जबकि करार में किसी दलाल की सेवा नहीं लेने का साफ प्रावधान था।