डीम्ड संस्थानों को अब विश्वविद्यालय के नियम-कायदे से भी मिलेगी छुट्टी
यूजीसी ने एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित है, जो अगले चार महीने में इसे लेकर सरकार को अपनी रिपोर्ट देगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। डीम्ड संस्थानों को लेकर उच्च शिक्षा में फैला भ्रम अब पूरी तरह से खत्म होगा। सरकार ने इसे लेकर बड़ी पहल की है। हाल ही में इस संस्थानों के नाम से विश्वविद्यालय शब्द को हटवाने के बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने इनके लिए अब अलग से नियम-कायदे तैयार करने की भी पहल की है। इसे लेकर यूजीसी ने एक उच्च स्तरीय कमेटी गठित है, जो अगले चार महीने में इसे लेकर सरकार को अपनी रिपोर्ट देगी। अभी इन सभी संस्थानों का संचालन विश्वविद्यालय के तय नियमों के तहत ही किया जा रहा है।
यूजीसी ने यह पहल ऐसे समय की है, जब डीम्ड संस्थानों से जुड़ी अनियमितता को लेकर सरकार के पास ढेरों शिकायत है। सुप्रीम कोर्ट में भी इससे जुड़े कई मामले पहुंचे है। इनमें से चार डीम्ड संस्थानों द्वारा दूरस्थ शिक्षा के तहत चलाए जा रहे इंजीनियरिंग कोर्स का भी मामला सामने आया था। इसके बाद तो सुप्रीम कोर्ट ने दूरस्थ शिक्षा के लिए बांटी गई इंजीनियरिंग की सभी डिग्री को रद्द कर दिया था। इसके बाद तो डीम्ड संस्थानों को लेकर सरकार की ओर भी किरकिरी हुई। यूजीसी सूत्रों के मुताबिक मंत्रालय के निर्देश के बाद डीम्ड संस्थानों के लिए अलग से नियम-कायदे बनाने की पहल की गई है। इसे लेकर पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एल नरसिम्हन रेड्डी की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की गई है।
जिसमें मानव संसाधन विकास मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव एसएस संधू और एआईसीटीई के चेयरमैन को भी रखा गया है। फिलहाल इस कमेटी को चार महीने के भीतर डीम्ड संस्थानों के लिए नियम-कायदे तय कर रिपोर्ट देनी है। सूत्रों की कहना है कि जरुरत हुई तो यूजीसी अपने अधीन डीम्ड संस्थानों की निगरानी के लिए एक अलग से संस्था भी गठित कर सकती है। फिलहाल इसका फैसला मंत्रालय को लेना है। डीम्ड संस्थानों को लेकर यह पूरी विवाद उस समय शुरु हुआ, जब देश के ज्यादातर डीम्ड संस्थानों ने अपने नाम के साथ विश्वविद्यालय शब्द का इस्तेमाल शुरु कर दिया था। इसके चलते लोगों में भ्रम की स्थिति बन गई है।
यह भी पढ़ेंः 'पं. राहुल गांधी जी को सभी भगवानों ने दिया आशीर्वाद, 2019 में बनेंगे PM'