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जख्म के पांच बरस: किसी को नहीं छोड़ा, हेडली ने सबको दिया धोखा

नई दिल्ली। लश्कर आतंकी डेविड कोलमैन हेडली खुद को बचाने के लिए अपनी तीन पत्नियों के अलावा अमेरिका और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ को भी धोखा दिया। यही नहीं हेडली के काम करने का एक ही तरीका था, खुद को बचाने के लिए दूसरों को बलि का बकरा बनाना। एडियन लेवी और कैथी स्कॉट क्लार्क ने मुंबई हमले (26/11) पर लिखी अपनी कि

By Edited By: Published: Tue, 26 Nov 2013 08:55 AM (IST)Updated: Tue, 26 Nov 2013 10:02 AM (IST)
जख्म के पांच बरस: किसी को नहीं छोड़ा, हेडली ने सबको दिया धोखा

नई दिल्ली। लश्कर आतंकी डेविड कोलमैन हेडली खुद को बचाने के लिए अपनी तीन पत्नियों के अलावा अमेरिका और पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आइएसआइ को भी धोखा दिया। यही नहीं हेडली के काम करने का एक ही तरीका था, खुद को बचाने के लिए दूसरों को बलि का बकरा बनाना। एडियन लेवी और कैथी स्कॉट क्लार्क ने मुंबई हमले (26/11) पर लिखी अपनी किताब 'द सीज द अटैक ऑन द ताज' में यह दावा किया गया है।

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किताब में यह दावा भी किया गया है कि मुंबई हमले के साजिशकर्ता राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) की रणनीतियों से भी भलीभांति अवगत थे। लेखकों के अनुसार, हेडली ने लश्कर को धोखा दिया। अमेरिकी खुफिया एजेंसी को मूर्ख बनाया। उसने सबसे अच्छे दोस्त तहव्वुर राणा से भी छल किया। लश्कर को तो आइएसआइ से संबंधों को लेकर हेडली पर जासूसी करने का संदेह था, जिसकी उसने रिपोर्ट भी दी थी। इस वजह से पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी के अधिकारियों ने हेडली से मुलाकात से परहेज किया।

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हेडली को उसके पिता ने पाकिस्तान के मिलिट्री स्कूल में दाखिला दिलाया था। यहां हेडली ने 1980 की शुरुआत में नशीले पदार्थो की तस्करी करने लगा। राणा उस वक्त पाकिस्तानी सेना में मेडिकल का छात्र था। हेडली ने राणा की जानकारी के बिना सेना के वाहनों का इस्तेमाल तस्करी के लिए करने लगा। वर्ष 1984 में इसका भंडाफोड़ हुआ। इसके बाद न्यूयॉर्क में भी उसने तस्करी का काम शुरू कर दिया। हर बार ड्रग्स इनफोर्समेंट एडमिनिस्ट्रेशन के साथ समझौता कर बच निकलता था।

अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने उसे पाकिस्तानी आतंकी संगठन में घुसपैठ करने का प्रस्ताव दिया। वर्ष 2006 के बाद वह लश्कर में अपनी पैठ बनाने में सफल रहा। वह अलकायदा के करीब जाने लगा। हेडली कुख्यात आतंकी इलियास कश्मीरी के वजीरिस्तान में सक्रिय 313 ब्रिगेड में अपनी पैठ बनाने में सफल रहा। किताब में दावा किया गया है कि आइएसआइ अधिकारी मेजर इकबाल 'हनी बी' ऑपरेशन के तहत भारतीय पुलिस और सेना के कमांडो के प्रशिक्षण से जुड़े अहम दस्तावेज प्राप्त करने में सफल रहा था।

लेखकों का कहना है कि एनएसजी की रणनीतियों से वाकिफ होने के कारण ही शुरुआत में आतंकी भारतीय सुरक्षाबलों पर भारी पड़े थे।

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