डाटा एनालिटिक्स से होगी जीएसटी चोरी रोकने की कवायद
सरकार एनालिटिक्स टूल के माध्यम से जीएसटीएन के डेटा बेस और दूसरे स्त्रोतों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर करदाताओं पर नजर रखेगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। जीएसटी लागू होने के एक वर्ष बाद अब जीएसटी चोरी रोकने की कवायद शुरु होगी। इसके जीएसटी नेटवर्क डाटा एनालिटिक्ल टूल की लिए मदद लेगा। सरकार एनालिटिक्स टूल के माध्यम से जीएसटीएन के डेटा बेस और दूसरे स्त्रोतों से प्राप्त सूचनाओं के आधार पर करदाताओं पर नजर रखेगी। साथ ही वस्तुओं की खरीद-बिक्री के डाटा का आकलन करके टैक्स चोरी की संभावनाओं को कम करेगी।
जीएसटीएन के सीईओ प्रकाश कुमार ने कहा कि आने वाले समय में जीएसटी का डाटा काफी उपयोगी होगा। जीएसटी और ई-वे बिल लागू नहीं होने से पहले डाटा एकत्रित करने और उसकी गणना करने में वर्षों लगते थे, जिसे जीएसटी और ई-वे बिल ने आसान बना दिया है। कुमार के मुताबिक जीएसटीआर-3बी और जीएसटीआर-1 के तुलनात्मक अध्ययन से टैक्स चोरी की गणना की जा सकेगी। उनके मुताबिक एनालिटिक्स डाटा न सिर्फ टैक्स चोरी रोकने में कारगर साबित होगा, बल्कि पॉलिसी बनाने में मदद मिलेगी।
जीएसटीएन और ई-वे बिल के जरिए पता लगाया जा सकता है कि कौन सी वस्तु देश के किस हिस्से में भेजी जा रही है, और कहां उसका वितरण हो रहा है। जीएसटीएन ने कर चोरी रोकने के साथ ही आगामी छह माह में सुधार के लक्ष्य तय किए हैं, जिसके तहत नए करदाताओं को जीएसटी से जोड़ने, यूजर इंटरफेस को उन्नत बनाने और गलतियों को दुरुस्त करने पर जोर दिया जाएगा।
जीएसटी की एक साल की उपलब्धियां गिनाते हुए जीएसटीएन चेयरमैन एबी पांडे ने बताया कि पिछले एक साल में करदाताओं की संख्या एक करोड़ 12 लाख हो गई है, जो जीएसटी लागू होने से पहले 63.76 लाख थी। ऐसे में 48.38 लाख नए करदाता जीएसटी से जुड़े। पांडे के मुताबिक जीएसटी लागू होने के पहले माह के लिए 90 हजार करोड़ का राजस्व प्राप्त हुआ और बीते अप्रैल माह में ये एक लाख करोड़ के आंकड़े को पार कर गया। अब तक 12 करोड़ जीएसटी रिटर्न और 380 करोड़ इनवाइस दाखिल किए गए हैं। पांडे ने बताया कि जीएसटीएन की जांच कैग ऑडिट के जरिए होगी। साथ ही आधिकारिक ऑडिटर भी इसका ऑडिट जारी रखेंगे। उन्होंने सरकारी जिम्मेदारी छोड़ने की बात कही। जबकि मौजूदा वक्त में 51 फीसदी शेयरों पर प्राइवेट संस्थानों की हिस्सेदारी है।