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कोरोना के खतरे ने बढ़ाया युवाओं में वसीयत का चलन, पहुंच रहे वकील और लॉ फर्मों के पास

कोरोना ने लोगों को इतना डरा दिया है कि अब 40 से 45 साल के लोग भी वसीयत बनवाने के लिए वकीलों के पास पहुंचने लगे हैं। पिछले डेढ़ साल में वकील और लॉ फर्मों के पास वसीयत बनवाने वाले लोगों की संख्या अचानक बढ़ गई है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 23 Jun 2021 05:29 PM (IST)Updated: Wed, 23 Jun 2021 08:20 PM (IST)
कोरोना के खतरे ने बढ़ाया युवाओं में वसीयत का चलन, पहुंच रहे वकील और लॉ फर्मों के पास
पिछले डेढ़ साल में वकील और लॉ फर्मों के पास वसीयत बनवाने वाले लोगों की संख्या अचानक बढ़ गई

विजय सिंह राठौर, ग्वालियर। वे दिन लद गए, जब व्यक्ति उम्र के अंतिम पड़ाव में ही अपनी जायदाद की वसीयत तैयार कराता था। कोरोना ने लोगों को इतना डरा दिया है कि अब 40 से 45 साल की उम्र में लोगों को परिवार की बड़ी जिम्मेदारियों चिंता सताने लगी है। इस उम्र में ही लोग अपने परिवार के भविष्य को सुरक्षित कर देना चाहते हैं। यही वजह है युवा कारोबारी एवं नौकरी पेशा कई लोग वसीयत बनवाने के लिए वकीलों के पास पहुंच रहे हैं।

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40 से 45 वर्षीय लोग भी पहुंच रहे वकीलों के पास

कोरोना के कारण जीवन की अनिश्चितता का खौफ इस कदर बढ़ा है कि पिछले डेढ़ साल में वकील और लॉ फर्मो के पास वसीयत बनवाने वाले लोगों की भीड़ अचानक बढ़ गई है। ये अपनी चल-अचल संपत्ति के वितरण के लिए वसीयत लिखवा रहे हैं, ताकि उनके न रहने पर परिवार को बिना किसी विवाद के आसानी से संपत्ति मिल जाए। जिला न्यायालय में अधिवक्ता नरेंद्र कंसाना बताते हैं कि कोरोना की दूसरी लहर में बड़ी संख्या में युवाओं की भी मृत्यु हुई है, इसलिए बीते दो महीने से 40 से 45 आयु वर्ग के लोग भी वसीयत बनवाने के लिए आने लगे हैं। कई ऐसे भी हैं जिनके पति या पत्नी की मृत्यु हो चुकी है।

उप महानिरीक्षक पंजीयन यूएस वाजपेई ने भी माना कि कोरोना के कारण युवाओं में वसीयत का चलन बढ़ा है। पहले 60-65 साल आयु वर्ग के ऐसे लोग ही वसीयत तैयार कराते थे, जो किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहे हों। ग्वालियर जिले में ही जनवरी 2021 से अभी तक 575 वसीयत पंजीकृत हुई हैं। कोरोना से पहले सालाना 400 पंजीकृत वसीयत हुआ करती थीं।

यह है प्रक्रिया

वसीयत का पंजीयन कराना अनिवार्य नहीं है, इसलिए ज्यादातर लोग सादा कागज पर भी वसीयत बनवाकर अपने घर में रख लेते हैं या अपने किसी विश्वसनीय को दे देते हैं। हालांकि सादा कागज की अपेक्षा पंजीकृत वसीयत को कोर्ट अधिक मान्यता देता है। वसीयत पंजीयन में स्टांप नहीं लगता, कितनी भी संपत्ति हो केवल एक हजार रपये शुल्क लगता है। हर दस्तावेज की तरह वसीयत को पंजीकृत कराने के लिए भी स्लॉट लेना होता है। वसीयत घर में बनी हो या पंजीकृत हो, उसमें दो स्वतंत्र गवाहों का होना अनिवार्य है।

केस-1 :

ग्वालियर निवासी एक युवक दिल्ली में चार्टर्ड अकाउंटेंट है। बीते दिनों उनकी पत्नी का कोरोना के कारण निधन हो गया। इसके बाद वे खुद की जिंदगी को लेकर भी आशंकित रहने लगे। दो बेटे व एक बेटी के भविष्य की चिंता सताने लगी। ऐसे में उन्होंने अपनी वसीयत तैयार करवाकर उसे किसी भरोसेमंद को सौंपा। इसके बाद ही नौकरी पर लौटे।

केस-2 :

ग्वालियर के ही एक अन्य युवक ने हाल ही में अपनी चल-अचल संपत्ति की वसीयत कराई है। उनका कहना है एक रिश्तेदार की कोरोना से मृत्यु हो गई। परिवार पर वज्रपात के बावजूद उनके तीन बेटों में महज डेढ़ महीने बाद ही संपत्ति को लेकर विवाद शुरू हो गया। यह दुखद स्थिति देख मैंने बच्चों में प्रेम बनाए रखने अपनी संपत्ति की वसीयत करा दी।


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