भारी वाहनों को खिलौनों की तरह नचाती हैं दमयंती, 8 देशों के पुरुषों को पछाड़कर जीता बेस्ट ऑपरेटर का खिताब
अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में आठ देशों के 32 पुरुषों को पछाड़ बेस्ट आपरेटर का खिताब हासिल करने वाली दमयंती जेसीबी जैसे भारी वाहनों को खिलौनों की तरह नचाना जानती हैं। इससे प्रभावित होकर जापान में उन्हें अपनी दक्षता का प्रदर्शन करने के लिए बुलाया गया।
मिथलेश देवांगन, राजनांदगांव। आपने अब तक लोडर (जेसीबी) और चेन माउंटेन जैसे भारी वाहनों को चलाते हुए केवल पुरुषों को ही देखा होगा। मगर छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के खैरझिटी गांव की रहने वाली दमयंती इन वाहनों को खिलौनों की तरह नचाती हैं। दमयंती ने पिछले साल बेंगलुरु में हुए दक्षिण एशिया कंस्ट्रक्शन इक्यूपमेंट एक्सपो में आठ देशों के 32 पुरुषों को पछाड़कर बेस्ट आपरेटर का खिताब भी जीता था। यहां उन्होंने टाटा हिताची कंपनी के बैकहो लोडर के सबसे एडवांस वर्जन से महज 1.20 मिनट में लोहे के स्टैंड से फूल माला को उठाकर शहीद की प्रतिमा को पहना सबको चौंका दिया था। इससे प्रभावित होकर जापान के आटो इंजीनियरों ने मार्च 2020 में जापान में प्रस्तावित आटो एक्सपो में दक्षता प्रदर्शन के लिए उन्हें आमंत्रित किया था, लेकिन कोरोना के चलते इसका आयोजन नहीं हो सका।
जिले में नारी सशक्तीकरण पर चर्चा 57 वर्षीय दमयंती सोनी के बिना अधूरी रहती है। गुजरात के कच्छ में जन्मी दमयंती का विवाह वर्ष 1984 में खैरझिटी निवासी उत्तम कुमार सोनी से हुआ था। उत्तम लोडर चलाते थे। वर्ष 2010 में उनका निधन हो गया। इसके चलते दो बच्चों की जिम्मेदारी दमयंती के सिर पर आ गई। ऐसे में पति से जीती शर्त को उन्होंने ताकत बनाया और लोडर (जेसीबी) चलाने की ठान ली। यह बात सभी को अटपटी लगी, लेकिन उन्होंने फैसला नहीं बदला।
पांच साल तक जनपद पंचायत सदस्य रह चुकीं दमयंती समाजसेवा में भी पीछे नहीं हैं। जरूरतमंदों की मदद को वे हमेशा आगे रहती हैं। जूडो-कराटे जानने के कारण कई बार बदमाशों की पिटाई भी कर चुकी हैं। आसपास के गांवों में उन्हें जेसीबी वाली दीदी के नाम से जाना जाता है। विभिन्न आयोजनों में वे ढेरों पुरस्कार भी प्राप्त कर चुकी हैं।
क्या थी शर्त, जिसने बदल दी जिंदगी
दमयंती ने बताया कि 2009 में एक बार पति ने उन्हें चुनौती देते हुए कहा था कि खुले मैदान में सौ मीटर तक लोडर चलाकर दिखा दो तो सौ रुपये इनाम दूंगा। मैंने वह शर्त जीती थी। दूसरी बार गोठान के पांच चक्कर लगाकर 500 रुपये जीते थे। पति की मौत के बाद लोडर कबाड़ हो रहा था। ऐसे में उन्होंने इसे ही जीविकोपार्जन का जरिया बनाया। दमयंती ने बताया कि बेटी की शादी हो चुकी है और बेटा बिलासपुर में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा है।
महिलाओं को बनाना चाहती हैं आत्मनिर्भर
दमयंती ने बताया कि वह भारी मशीनरी वाहनों को चलाने में महिलाओं को पुरुषों की तरह ही दक्ष बनाना चाहती हैं। गांव की कई युवतियों को उन्होंने प्रारंभिक प्रशिक्षण भी दिया है। चार युवकों को भी जेसीबी आपरेट करना सिखा चुकी हैं। उन्होंने बताया कि टाटा-हिताची कंपनी को ट्रेनिंग सेंटर खोलने पर नि:शुल्क प्रशिक्षण देने का प्रस्ताव भी उन्होंने दिया है।