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संतोषी माता मंदिर में दलितों के प्रवेश पर रोक

हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर के घुमारवीं उपमंडल में स्थित संतोषी व काली माता के मंदिर में पुजारी ने दलितों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। इससे ग्रामीण उग्र हो गए हैं। यह मंदिर ग्राम पंचायत अमरपुर के गांव बल्ली में स्थित है।

By Gunateet OjhaEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2015 09:49 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2015 10:21 PM (IST)
संतोषी माता मंदिर में दलितों के प्रवेश पर रोक

रतनलाल संधू, बिलासपुर। हिमाचल प्रदेश के जिला बिलासपुर के घुमारवीं उपमंडल में स्थित संतोषी व काली माता के मंदिर में पुजारी ने दलितों के प्रवेश पर रोक लगा दी है। इससे ग्रामीण उग्र हो गए हैं। यह मंदिर ग्राम पंचायत अमरपुर के गांव बल्ली में स्थित है।

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लोगों ने मुख्य संसदीय सचिव राजेश धर्माणी, उपायुक्त मानसी सहाय ठाकुर और एएसपी रोहित मालपानी से आग्रह किया है कि उन्हें पूजा का अधिकार दिलाया जाए। जिले में इससे पहले भी मार्कंडेय मंदिर में शूद्रों के प्रवेश पर रोक लगाई गई थी।

स्थानीय संगठन संतोषी युवक मंडल के लोगों ने बताया कि मंदिर गांव वालों के सहयोग से बनाया गया है। अब पुजारी द्वारा दलितों के प्रवेश पर रोक लगाने से लोगों में रोष है। मंदिर में सुबह व शाम ग्रामीण माथा टेकने आते हैं। उन्होंने बताया कि युवक मंडल की ओर से आयोजित जागरण में ज्योतियों को भी स्थानीय पुजारी ने मंदिर में रखने नहीं दिया और बाहर फेंक दिया। संतोषी युवक मंडल का गठन किसी जाति के आधार पर नहीं किया गया है और इसमें सभी जातियों के युवकों ने सहयोग दिया है। लेकिन पुजारी (बाबा) दलितों को मंदिर में जाने नहीं दे रहा है।

एडीसी से मांगी रिपोर्ट

उपायुक्त बिलासपुर मानसी ने कहा कि यह मामला बेहद गंभीर है। इस पर एडीसी बिलासपुर से रिपोर्ट मांगी गई है, जिससे सारी वास्तुस्थिति का पता लगाया जा सके। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को जाति के आधार पर मंदिर में प्रवेश से रोकना गलत है। मामले को लेकर प्रशासन उचित कदम उठाएगा।

मार्कडेय मंदिर में भी लगाई थी शूद्रों के प्रवेश पर रोक

जिले के मार्कडेय मंदिर में भी काफी समय तक शूद्रों के प्रवेश पर रोक लगी रही थी। पिछले साल इस मामले की प्रशासन से शिकायत की गई थी। जिसके बाद पुलिस ने मौके पर जाकर इस आदेश को मिटाकर मंदिर में सभी के प्रवेश को सुनिश्चित किया था। यह मामला इतना उग्र हुआ था कि बाबा को गिरफ्तार करना पड़ा था। हालांकि, बाबा एवं समर्थकों ने शूद्र का मतलब गलत आचरण बताया था। लेकिन प्रशासन ने इस मामले में कोई तर्क नहीं माना। अब मामला न्यायालय में विचाराधीन है।


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