Move to Jagran APP

मार्च में भारत आएगा बेमिसाल डकोटा, कबाड़ से निकालकर ब्रिटेन में तैयार किया गया दोबारा

फख्र की बात है कि यह बेमिसाल विमान फिर से भारतीय वायु सेना का हिस्सा बनने जा रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 13 Feb 2018 11:50 PM (IST)Updated: Wed, 14 Feb 2018 07:15 AM (IST)
मार्च में भारत आएगा बेमिसाल डकोटा, कबाड़ से निकालकर ब्रिटेन में तैयार किया गया दोबारा
मार्च में भारत आएगा बेमिसाल डकोटा, कबाड़ से निकालकर ब्रिटेन में तैयार किया गया दोबारा

नई दिल्ली, प्रेट्र। पुंछ अगर भारत के साथ है तो उसका सारा श्रेय डकोटा विमान को जाता है। 1947 के भारत-पाक युद्ध में इसी विमान ने सैनिकों को कश्मीर की धरती तक तीव्रता से पहुंचाया, जिससे पाक घुसपैठियों व सेना को करारा जवाब दिया जा सका। फख्र की बात है कि यह बेमिसाल विमान फिर से भारतीय वायु सेना का हिस्सा बनने जा रहा है।

loksabha election banner

कबाड़ में पहुंच चुके इस विमान के उद्धार में राज्यसभा सदस्य राजीव चंद्रशेखर का बहुत बड़ा हाथ है। उनके ही प्रयास से इसे ब्रिटेन में फिर से तैयार किया गया। मार्च में यह उत्तर प्रदेश के हिंडन एयर बेस पर पहुंचेगा। डकोटा को हिंडन तक पहुंचने से पहले फ्रांस, इटली, ग्रीस, मिस्र, ओमान से गुजरना होगा। भारत में उसकी पहली लैडिंग जामनगर हवाई अड्डे पर होगी। उसके बाद यह हिंडन पहुंचेगा। भारतीय वायु सेना ने इसके भारत में पहुंचने के लिए विभिन्न देशों से अनुमति हासिल की।

एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ का कहना है कि इसे 1930 में रॉयल इंडियन एयर फोर्स के 12वें दस्ते में शामिल किया गया था। भारत-पाक के 1971 के युद्ध में भी इस विमान ने बांग्लादेश की मुक्ति में अहम भूमिका निभाई। ब्रिटेन ने इसे फिर से अत्याधुनिक स्वरूप प्रदान किया है। इसका नेवीगेशन सिस्टम आज के दौर के हिसाब से दोबारा तैयार किया गया है। डगलस डीसी-3 एयरक्राफ्ट के नाम से भी मशहूर इस विमान ने युद्ध के दौरान साजोसामान को पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। अब इसे परशुराम का नाम दिया गया है। इसे वीपी 905 के नाम से भी जाना जाएगा।

राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि उन्हें यह विमान 2011 में मिला था। वायु सेना को इसे फिर से सुपुर्द करना बेहद सम्मान की बात है। बेंगलुरु में हुए समारोह में सांसद ने विमान के दस्तावेज एयर चीफ मार्शल को सौंपे। उनके पिता रिटायर्ड एयर कमाडोर एमके चंद्रशेखर भी समारोह में मौजूद थे। सांसद ने बताया कि उनके पिता इस विमान को उड़ाया करते थे। उनका इससे जुड़ाव युवा अवस्था में भी हो गया था। एमके चंद्रशेखर अब 84 साल के हैं।

सैन्य इतिहासकार पुष्पेंद्र सिंह का कहना है कि विमान का इतिहास भारतीयों को गर्व से ओतप्रोत करने वाला है। जब यह फिर से वायु सेना का हिस्सा बनेगा तो सभी के लिए बेहद फख्र की बात होगी। बात चाहे 1947 की हो या फिर 1971 की। इस विमान ने हमेशा सेना को हर जगह मजबूती प्रदान की।

-----------------


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.