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अपराध को बनाया उद्योग, ट्रेनिंग सेंटर खोलकर सिखा रहे ठगी; इस तरह लगाते हैं चपत

पीड़ित के खाते में सेंध लगाकर रकम एजेंटों के बैंक खाते में ऑनलाइन भेज दी जाती है। एजेंट अपना 15 फीसद कमीशन काटकर शेष रकम सरगना से मिले निर्देश पर संबंधित व्यक्ति को सौंप देता है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 10:31 AM (IST)Updated: Fri, 08 Nov 2019 10:31 AM (IST)
अपराध को बनाया उद्योग, ट्रेनिंग सेंटर खोलकर सिखा रहे ठगी; इस तरह लगाते हैं चपत
अपराध को बनाया उद्योग, ट्रेनिंग सेंटर खोलकर सिखा रहे ठगी; इस तरह लगाते हैं चपत

दिलीप सिन्हा, गिरिडीह। झारखंड के गिरिडीह, जामताड़ा और देवघर के साइबर अपराधियों ने अपराध को उद्योग धंधा बना लिया है। वह अब कंपनी की तरह काम कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने झारखंड, दिल्ली और पंजाब समेत पूरे देश में ठेके पर कमीशन एजेंट रखे हैं। इनको अपराध करने की ट्रेनिंग दी जाती है। अपराध में इस्तेमाल के लिए बैंक खाते खुलवाए जाते हैं। पिछले दिनों पुलिस के हत्थे चढ़े दो आरोपित ने इसका पर्दाफाश किया है। इनका एक साथ दिल्ली में सक्रिय है। उन्होंने बताया कि तीनों को डेढ़ साल में कमीशन के तौर पर करीब 14 लाख और सरगना को डेढ़ करोड़ों रुपये मिले हैं। ये जिस सरगना के लिए काम करते हैं, उसको कभी देखा तक नहीं है।

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गत 13 अक्टूबर को गिरिडीह के अहिल्यापुर थाना क्षेत्र के कोलडीहा गांव निवासी उपेंद्र राणा एवं रंजीत राणा को गिरिडीह पुलिस ने गिरफ्तार किया था। पता चला था कि इनके खातों में ताबड़तोड़ रकम जमा होने के बाद निकाल ली जाती है। जब पूछताछ हुई तो सारा मामला उजागर हो गया। इनका तीसरा साथी अहिल्यापुर थाना क्षेत्र का मिराज अंसारी इन दिनों दिल्ली में रहकर साइबर अपराध को अंजाम दे रहा है। पुलिस को दोनों ने बताया कि हमें व मिराज को कमीशन के तौर पर डेढ़ साल में करीब 14 लाख व सरगना को करीब डेढ़ करोड़ मिले हैं। उक्त रकम साइबर अपराध के जरिये जुटाई गई थी।

गिरोह में हैं चौदह लोग

दोनों आरोपितों ने बताया कि उनके गिरोह में करीब चौदह लोग हैं। यह उनकी तरह देवघर, जामताड़ा समेत कई जिलों में कमीशन पर काम कर रहे हैं। पुलिस ने रंजीत राणा से पांच मोबाइल व अलग-अलग बैंकों की छह पासबुक बरामद की गईं। उससे सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया की दिल्ली की शाखा का एटीएम कार्ड भी मिला है। हाल ही में इस खाते से ठगी के दो लाख रुपये की निकासी की गई थी। उपेंद्र के मोबाइल पर ढाई लाख रुपये के लेनदेन का डाटा मिला है। गिरफ्तार आरोपितों के दिल्ली के कई बैंकों में खाते हैं। पूछताछ में यह भी पता चला कि दिल्ली के कुछ अन्य युवकों को भी इन्होंने अपने साथ जोड़ा है। उनको भी कमीशन एजेंट बना दिया व उनके बैंक खातों में भी ठगी की रकम मंगाई जाती है। दिल्ली में इन दोनों के सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, फेडरल बैंक व इलाहाबाद बैंक सहित कुछ अन्य बैंकों में खाते मिराज ने ही खुलवाए थे। इनका एटीएम कार्ड भी उसने दोनों को दिया था।

दो खातों की रकम साइबर सेल ने कराई होल्ड

उपेंद्र के दो खातों को रांची के साइबर सेल ने होल्ड कर रखा है। इन होल्ड किए हुए खातों में से कॉरपोरेशन बैंक में 26 हजार और फिना बैंक में पचास हजार रुपये हैं। दिल्ली की कई शाखाओं में दोनों के खातों की जांच की जा रही है। फिना बैंक में संजू कुमार के आइडी पर भी फर्जी खाता खुलवाया गया था। दोनों ने बताया कि हमारा काम बस रकम को बैंक खाते से निकालकर सरगना के निर्देशित व्यक्ति तक पहुंचाना होता था। बदले में अपना कमीशन काट लेते थे।

इस तरह लगाते हैं चपत

पीड़ित के खाते में सेंध लगाकर रकम एजेंटों के बैंक खाते में ऑनलाइन भेज दी जाती है। एजेंट अपना 15 फीसद कमीशन काटकर शेष रकम सरगना से मिले निर्देश पर संबंधित व्यक्ति को सौंप देता है। एजेंट और सरगाना की आमने-सामने की मुलाकात नहीं होती। कई एजेंट तो जानते ही नहीं कि वह किसके लिए काम कर रहे हैं।

ट्रेनिंग सेंटर खोलकर सिखा रहे ठगी

गिरोह के लोगों को साइबर ठगी के तरीके सिखाने के लिए गिरिडीह, देवघर व जामताड़ा में ट्रेनिंग सेंटर संचालित किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं लोगों को झांसे में लेने से लेकर अलग-अलग नाम से मोबाइल सिम जारी करवाने और अलगअलग बैंक खातों में पैसे मंगवाने के लिए इनको सिखाया जाता है।

साइबर अपराधियों के मंसूबों को ध्वस्त करने को हम हर उपाय कर रहे हैं। इसमें सफलता भी मिल रही है। पकड़े गए दोनों अपराधियों से कई सुराग मिले हैं। उसके सहारे उनके नेटवर्क को ध्वस्त किया जा रहा है।

- संदीप सुमन समदर्शी, डीएसपी, साइबर क्राइम, गिरिडीह

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