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सीवीसी ने कहा- छह महीने की समय-सीमा में हो भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई

सीवीसी के संज्ञान में आया था कि प्राधिकार और संबंधित अधिकारी समय-सीमा का पालन नहीं कर रहे हैं। कुछ मामलों में अनुशासनात्मक कार्यवाही में बहुत वक्त लग रहा है जिससे ऐसे मामलों को अंतिम रूप देने में देरी होती है।

By Bhupendra SinghEdited By: Updated: Tue, 15 Dec 2020 10:27 PM (IST)
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सीवीसी ने कहा कि देरी दोषी अधिकारियों को जुर्माने से बचने में मदद करती है।

नई दिल्ली, प्रेट्र। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) ने केंद्र सरकार के सभी संस्थानों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और बीमा कंपनियों से कथित भ्रष्ट कर्मचारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही को छह महीने के अंदर अंतिम रूप देने को कहा।

प्राधिकार समय-सीमा का पालन नहीं कर रहे हैं

सीवीसी के संज्ञान में आया था कि प्राधिकार और संबंधित अधिकारी समय-सीमा का पालन नहीं कर रहे हैं। कुछ मामलों में अनुशासनात्मक कार्यवाही में बहुत वक्त लग रहा है, जिससे ऐसे मामलों को अंतिम रूप देने में देरी होती है।

सीवीसी ने कहा- देरी से अनावश्यक मुकदमेबाजी

सीवीसी ने सोमवार को जारी एक आदेश में कहा कि देरी से अनावश्यक मुकदमेबाजी होती है और आरोपित अधिकारी को अनुचित तरीके से या तो लाभ मिलता है या उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।

सीवीसी ने कहा- देरी दोषी अधिकारियों को जुर्माने से बचने में मदद करती है

आयोग ने कहा कि इस तरह की देरी एक तरफ दोषी अधिकारियों को जुर्माने से बचने में मदद करती है तो दूसरी तरफ ऐसे अधिकारियों की समस्या और बढ़ जाती है जिन्हें कुछ मामलों में गलत तरह से आरोपित किया गया है। सीवीसी ने कहा कि जांच अधिकारी (आइओ) की नियुक्ति की तारीख से छह महीने के अंदर जांच रिपोर्ट जमा की जानी चाहिए।