ऑक्सीजन यूनिट हुआ विकसित, वेंटिलेटर व सिलिंडरों के डिमांड में आएगी कमी: स्वास्थ्य मंत्री
स्वास्थ्य मंत्री ने एक विशेष ऑक्सीजन यूनिट के विकसित होने की बात कही जो वेंटिलेटर व सिलिंडरों के डिमांड में कमी कर सकेगा।
नई दिल्ली, प्रेट्र। CSIR के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे 'ऑक्सीजन' यूनिट को डिजायन किया है जिसका उपयोग घरों, अस्पतालों व सुदूर ग्रामीण इलाकों में किया जा सकेगा और कोविड-19 के कारण मौजूदा हालात में यह काफी महत्वपूर्ण साबित होगा। यह जानकारी स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्द्धन (Harsh Vardhan) ने दी। उन्होंने बताया कि इस यूनिट से ऑक्सीजन सिलिंडरों और वेंटिलेंटर के लिए बढ़ते डिमांड को कम किया जा सकेगा।
स्वास्थ्य मंत्री ने अपने ट्वीट में यह जानकारी दी। उन्होंने लिखा,' CSIR (Council of Scientific & Industrial Research) व पुणे के नेशनल केमिकल लैब ने ऑक्सीजन यूनिट को डिजायन किया जिसका उपयोग, घरों, अस्पतालों व सुदूर ग्रामीण इलाकों में किया जा सकता है। यह कोविड के कारण उत्पन्न मौजूदा हालात में काफी काम आएगा।'
उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, 'इस यूनिट का एक विशेष फीचर यह है कि इसे ऑक्सीजन सिलिंडर या वेंटिलेटरों की आवश्यकता नहीं है। यदि कोविड-19 मरीजों को शुरुआत में ऑक्सीजन मिल जाता है तो उन्हें बाद में वेंटिलेटर की जरूरत नहीं होती।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि कोविड-19 संक्रमण से बचने वाली वैक्सीन के निर्माण में फिलहाल एक साल लग जाएगा। उन्होंने कहा कि भारत काफी बेहतर तरीके से महामारी का सामना कर पड़ रहा है और काफी मजबूत स्थिति में है। दुनिया के बाकी देशों की तुलना में कोविड-19 के लिए भारत का प्रदर्शन अच्छा है। स्वास्थ्य मंत्री कहा कि हमने टेस्टिंग बढ़ाई और देश में मृत्यु दर कम है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया के तमाम देशों में कोविड-19 मरीजों में से करीब 15 फीसद को अतिरिक्त ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। अफ्रीका महाद्वीप के 55 देशों में से दस के पास वेंटिलेटर की सुविधा नहीं है। WHO के अनुसार, 41 अफ्रीकी देशों में केवल दो हजार वेंटिलेटर ही काम कर रहे हैं और एक करोड़ से अधिक आबादी वाले देश दक्षिण सूडान में केवल चार वेंटिलेटर ही हैं। इसके अलावा सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक में तीन और लाइबेरिया में सिर्फ छह वेंटिलेटर हैं।