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CSE Report: लाॅकडाउन में नहीं सुधरी नदियों की जल गुणवत्ता, गंगा सहित चार नदियां गंदी हुईं, सात नदियों में नहीं बदला जल गुणवत्ता

ब्रह्मपुत्र एकमात्र ऐसी नदी रही जो लाॅकडाउन के दौरान स्नान के लिए सौ फीसद उपयुक्त हो गई। पहले इसकी गुणवत्ता 87.5.फीसद थी। सीएसई की रिपोर्ट के मुताबिक लाॅकडाउन के दौरान इन नदियों में जो सीवेज गया वह या तो अनुपचारित था या आंशिक रूप से उपचारित।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Mon, 02 Aug 2021 10:53 PM (IST)Updated: Tue, 03 Aug 2021 12:58 AM (IST)
CSE Report: लाॅकडाउन में नहीं सुधरी नदियों की जल गुणवत्ता, गंगा सहित चार नदियां गंदी हुईं, सात नदियों में नहीं बदला जल गुणवत्ता
देश की 19 प्रमुख नदियों के पानी की गुणवत्ता में कोविड-19 लाॅकडाउन के दौरान नहीं हुआ खास सुधार

संजीव गुप्ता, नई दिल्ली। दावे भले ही चाहे जो किए गए हों, लेकिन सच यह है कि 2020 के कोविड-19 लाकडाउन के दौरान भी नदियों के पानी की गुणवत्ता में सुधार नहीं हुआ। सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की हाल ही में जारी रिपोर्ट 'स्टेट आफ इंडियाज एन्वायरमेंट इन फिगर 2021' ने सच सामने ला दिया है। यह रिपोर्ट बताती है कि भारत की 19 प्रमुख नदियों के पानी की गुणवत्ता में लाॅकडाउन के दौरान कोई उल्लेखनीय सुधार नहीं हुआ, जबकि गंगा सहित पांच नदियां तो और भी गंदी हो गईं।

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तीन नदियों में जल गुणवत्ता अपरिवर्तित रही

तीन नदियों में पानी की गुणवत्ता अपरिवर्तित रही। सिर्फ पांच नदियों में लाकडाउन से पूर्व और लाकडाउन अवधि के दौरान स्नान के लिए प्राथमिक जल गुणवत्ता मानदंड का 100 फीसद अनुपालन दिखा।

ब्रह्मपुत्र स्नान के लिए सौ फीसद उपयुक्त

ब्रह्मपुत्र एकमात्र ऐसी नदी रही जो लाॅकडाउन के दौरान स्नान के लिए सौ फीसद उपयुक्त हो गई। पहले इसकी गुणवत्ता 87.5.फीसद थी। यह रिपोर्ट इस प्रचलित अवधारणा का भी खंडन करती है कि महामारी नदियों के लिए सार्वभौमिक रूप से अच्छी रही है।

सीएसई रिपोर्ट: लाॅकडाउन के दौरान सतही जल निकायों के जैविक प्रदूषण में कमी आई

सीएसई की रिपोर्ट के मुताबिक लाॅकडाउन के दौरान इन नदियों में जो सीवेज गया, वह या तो अनुपचारित था या आंशिक रूप से उपचारित। जिन नदियों की जलीय गुणवत्ता में थोड़ा बहुत सुधार हुआ, उसका कारण लगभग सभी उद्योगों के बंद होने से न्यूनतम औद्योगिक अपशिष्ट निर्वहन, पूजा सामग्री और कचरे के निपटान से जुड़ी कोई मानवीय गतिविधि नहीं होना, स्नान, कपड़े धोना, वाहन धोना और मवेशियों को नहलाने जैसी गतिविधियां न होना रहा। इन्हीं सब कारणों से सतही जल निकायों के जैविक प्रदूषण में कमी आई।

इन नदियों की गुणवत्ता हुई बदतर

लाॅकडाउन से पूर्व और बाद की गुणवत्ता स्थिति (फीसद में)

1. चंबल 75        46.15

2. ब्यास 100      95.45

3. सतलुज 87.1  78.30

4. गंगा 64.6      46.2

5. स्वर्णरेखा 80   55.33

इन नदियों की गुणवत्ता रही अपरिवर्तित

1. घग्घर 0               0

2. साबरमती 55.55  55.55

3. माही 92.85        92.85

इनकी जल गुणवत्ता में हुआ मामूली सुधार

1. यमुना 42.8    66.7

2. तापी 77.8      87.50

3. कृष्णा 84.61   94.44

4. कावेरी 90.47  96.96

5. गोदावरी 65.78 78.37

इन नदियों का पानी लाॅकडाउन से पहले और बाद में भी नहाने के लिए सौ फीसद उपयुक्त था

1. नर्मदा

2. बैतरणी

3. ब्राह्मणी

4. महानदी

5. पेन्नार

आंकड़ों का विश्लेषण और तुलनात्मक आंकलन

आंकड़ों का विश्लेषण और तुलनात्मक आंकलन एक प्रवृत्ति बताता है। यही प्रवृत्ति चुनौतियों और अवसरों से निपटने का आधार बनती है। अगर खामियां और सुधार के उपाय पता चलते हैं तो उनमें सुधार करने का रास्ता भी मिलता है। सरकारों और विभागों को इसी रास्ते पर चलना चाहिए- सुनीता नारायण, महानिदेशक, सीएसई।


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