करुणानिधि के खिलाफ मानहानि मामले की सुनवाई टली
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एवं द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि मानहानि के एक मामले में सोमवार को कोर्ट में पेश हुए। अदालत ने मामले की सुनवाई दस मार्च तक के लिए स्थगित कर दी।
चेन्नई। तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एवं द्रमुक प्रमुख एम करुणानिधि मानहानि के एक मामले में सोमवार को कोर्ट में पेश हुए। अदालत ने मामले की सुनवाई दस मार्च तक के लिए स्थगित कर दी। अवमानना का यह केस उनकी कट्टर प्रतिद्वंद्वी और तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता की ओर से दायर किया गया है।
व्हीलचेयर पर बैठे 92 वर्षीय करुणानिधि अपने वकीलों के साथ चेन्नई की सत्र अदालत में पेश हुए। इसके बाद मुख्य सत्र न्यायाधीश एन आदिनाथन ने मामले की सुनवाई दस मार्च तक के लिए स्थगित कर दी। उनके साथ बेटे और पार्टी के कोषाध्यक्ष एमके स्टालिन, बेटी व राज्यसभा सदस्य कनीमोरी के अलावा पार्टी के वरिष्ठ नेता टीआर बालू और दयानिधि मारन भी मौजूद थे।
इस दौरान पूरा कोर्ट परिसर करीब डेढ़ हजार द्रमुक कार्यकर्ताओं और वकीलों से भर गया था। भीड़ को नियंत्रित करने में पुलिस को खासी मशक्कत करनी पड़ी। द्रमुक के मुखपत्र में प्रकाशित एक कथित अपमानजनक लेख के मामले में मुख्य सत्र न्यायाधीश ने गत माह करुणानिधि को 18 जनवरी को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया था।
पार्टी के मुखपत्र "मुरासोली" के नवंबर के अंक में राज्य की अन्नाद्रमुक के चार साल कार्यकाल को लेकर एक लेख प्रकाशित हुआ था। कोर्ट ने "मुरासोली" के संपादक, प्रिंटर और पब्लिशर एस सेल्वम को भी इसी दिन पेश होने के लिए कहा था।
उल्लेखनीय है कि राज्य में विधानसभा चुनाव कुछ माह बाद ही होने हैं। ऐसे में द्रमुक सुप्रीमो का कोर्ट में पेश होना पार्टी कार्यकर्ताओं में जोश भरने के तौर पर देखा जा रहा है। क्योंकि वह आमतौर पर किसी मामले में कोर्ट में पेश नहीं होते हैं।
सीएम तरुण गोगोई भी हुए पेश
भाजपा नेता हेमंत विश्व शर्मा द्वारा दाखिल 100 करोड़ रुपये के मानहानि मामले में असम के मुख्यमंत्री तरुण गोगोई सोमवार को कोर्ट में पेश हुए। गोगोई द्वारा भ्रष्टाचार का आरोप लगाए जाने को लेकर शर्मा ने यह कदम उठाया था। मुख्यमंत्री के पेश होने के दौरान बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता कोर्ट परिसर में मौजूद थे।
कोर्ट से बाहर आने पर गोगोई ने संवाददाताओं से कहा कि कोर्ट ने अगली सुनवाई के लिए आठ फरवरी की तारीख तय की है और उस दिन उनकी ओर से आपत्तियां दाखिल की जाएंगी। उनके मुताबिक वह कानून का पालन करने वाले व्यक्ति हैं। मुख्यमंत्री और अन्य लोगों में कोई फर्क नहीं है। कोर्ट के समन का पालन करते हुए वह उसके समक्ष पेश हुए।