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पेगासस जासूसी मामले की कोर्ट की निगरानी में SIT जांच की मांग, सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सीपीएम सांसद

पेगासस जासूसी कांड का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर अनुरोध किया गया है कि इस मामले की कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा जांच कराई जाए। सीपीएम सांसद ने दायर की याचिका।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sun, 25 Jul 2021 08:47 AM (IST)Updated: Sun, 25 Jul 2021 08:51 AM (IST)
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा पेगासस जासूसी कांड मामला।(फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, एएनआइ। पेगासस जासूसी कांड का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका में इस मामले की कोर्ट की निगरानी में SIT जांच की मांग की गई है। पेगासस जासूसी मामले की जांच की मांग को लेकर भारतीय कम्युनिस्ट मार्क्सवादी पार्टी (मार्क्सवादी) यानि सीपीआइ(एम) के नेता और राज्यसभा सांसद जॉन ब्रिटास(John Brittas) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने सरकार द्वारा राजनेताओं, कार्यकर्ताओं और पत्रकार की जासूसी करने के लिए इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस का उपयोग करने वाली सरकार की रिपोर्ट की विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा अदालत की निगरानी में जांच की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में कहा गया है कि गंभीर आरोपों के बावजूद सरकार ने इस मामले की जांच करने की परवाह नहीं की है।

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याचिका में कहा गया है कि ऐसी परिस्थितियों में याचिकाकर्ता को सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाने के लिए बाध्य होना पड़ा है क्योंकि इस मुद्दे में नागरिकों के निजता के मौलिक अधिकार और राज्य की निगरानी शक्तियों का घोर दुरुपयोग शामिल है। याचिका में कहा गया है कि अगर पेगासस स्पाइवेयर का इस्तेमाल अनाधिकृत तरीके से किया गया था जो कि अनुच्छेद 19(1)(ए) और 21 के तहत मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है और पुट्टस्वामी मामले में इस न्यायालय द्वारा बरकरार रखी गई निजता के अधिकार के मुंह पर एक तमाचा भी है। यह आईटी अधिनियम और भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम के प्रावधानों का भी उल्लंघन है जिसके लिए तत्काल, स्वतंत्र और पारदर्शी जांच के बाद सख्त दंडात्मक कार्रवाई की जानी चाहिए।

याचिका में केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री अश्विनी वैष्णव द्वारा संसद में दिए गए बयानों का भी उल्लेख किया गया है, जहां उन्होंने कहा था कि कोई अनधिकृत अवरोधन नहीं हुआ है, जिससे अवरोधन अधिकृत होने पर एक अनुमानित प्रश्न को जन्म देता है। याचिका में कहा गया है कि हालांकि, सरकार इस बारे में कोई बयान नहीं दे रही है कि इस तरह के अवरोधन को कैसे अधिकृत किया गया है।


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