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सपने में सुनाई देती है वेंटिलेटर की बीप, ठीक होने पर भी खत्म नहीं हो रहा कोरोना का खौफ

एम्स भोपाल में 15 दिन तक आइसीयू में रहे कोलार के 65 साल के व्यक्ति की सितंबर के पहले हफ्ते में अस्पताल से छुट्टी हो गई। वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं लेकिन फिर से कोरोना होने का डर सता रहा है। वेंटिलेटर की बीप कानों में गूंजती रहती है।

By Tilak RajEdited By: Published: Mon, 21 Sep 2020 10:56 PM (IST)Updated: Tue, 22 Sep 2020 08:20 AM (IST)
सपने में सुनाई देती है वेंटिलेटर की बीप, ठीक होने पर भी खत्म नहीं हो रहा कोरोना का खौफ
भोपाल में हर मनोचिकित्सक के पास रोज पहुंच रहे एक-दो मरीज

भोपाल, जेएनएन। कोरोना वायरस संक्रमण का खौफ लोगों के दिलो-दिमाग में बैठ चुका है। कुछ लोग तो इस जानलेवा वायरस की गिरफ्त से छुटने के बाद भी इसके डर से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। कोरोना से स्वस्थ होने के बाद भी मरीजों का डर नहीं जा रहा है। कई तो ऐसे हैं जिनकी रात की नींद ही गायब हो गई है। सपने में भी अस्पताल का गहन चिकित्सा कक्ष (आइसीयू) दिखाई देता है। वेंटिलेटर की बीप सुनाई देती है। ज्यादा खौफ उन मरीजों में है जो ऑक्सीजन सपोर्ट पर या फिर वेंटिलेटर पर रहे हैं। ठीक होने के बाद उन्हें डर सता रह है कि दोबारा कोरोना न हो जाए। भोपाल में मनोचिकित्सकों के पास रोज एक-दो ऐसे मरीज पहुंच रहे हैं।

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भोपाल के हमीदिया अस्पताल के मनोचिकित्सा विभाग के पूर्व एचओडी डॉ. आरएन साहू ने बताया कि पहले तो कोविड होने के डर से लोगों को चिंता बीमारी हो रही थी। अब कोविड से ठीक हो चुके लोगों की मानसिक परेशानी और ज्यादा बढ़ गई है। उन्हें घबराहट, बेचैनी, नींद नहीं आने, एसिडिटी, चिड़चिड़ापन की तकलीफ हो रही है। उन्होंने बताया कि हर दिन इस तरह के पांच से छह मरीज उनके पास इलाज के लिए पहुंच रहे हैं।

भोपाल के ही मनोचिकित्सक डॉ. प्रीतेश गौतम ने बताया कि रोज एक या दो मरीज इस तरह के आ रहे हैं। उनकी नींद गायब हो गई है। मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी ने भी बताया कि उनके पास भी रोज एक-दो मरीज कोरोना से ठीक होने वाले आ रहे हैं। उन्होंने बताया सोशल मीडिया व अन्य माध्यमों से उन्हें पता चला है कि दोबारा भी कोरोना हो सकता है, लिहाजा उनकी चिंता बढ़ गई है।

केस 1: देवास के एक पुलिसकर्मी के 22 साल के बेटे को कोरोना हुआ। 15 दिन पहले कोरोना संक्रमण ठीक होने के बाद उनकी अस्पताल से छुट्टी कर दी गई। इसके बाद उन्हें लगने लगा कि फिर संक्रमित तो नहीं हो जाएंगे। घबराहट और बेचैनी बढ़ने पर पहले तो देवास में ही मेडिसिन विशेषज्ञ को दिखाया। उन्होंने भोपाल में मनोचिकित्सक डॉ. आरएन साहू के पास रेफर कर दिया। इलाज व काउंसिलिंग के बाद वह ठीक हैं।

केस 2: एम्स भोपाल में 15 दिन तक आइसीयू में रहे कोलार के 65 साल के व्यक्ति की सितंबर के पहले हफ्ते में अस्पताल से छुट्टी हो गई। वह पूरी तरह से स्वस्थ हैं, लेकिन फिर से कोरोना होने का डर उन्हें सता रहा है। वह मनोचिकित्स डॉ. प्रीतेश गौतम के पास पहुंचे। मरीज ने बताया कि रात में उन्हें डरावने सपने आते हैं। वेंटिलेटर की बीप कानों में गूंजती रहती है। लगता है घर में नहीं आइसीयू में हैं।

केस 3 : 45 साल के युवक को कोरोना होने के बाद चिरायु मेडिकल कॉलेज में इलाज चला। ठीक होने के बाद उन्हें घबराहट होने लगी। दिल के डॉक्टरों को दिखाया। इसीजी समेत सभी जांचें हुई पर कुछ नहीं निकला। मनोचिकित्सक डॉ. सत्यकांत त्रिवेदी के पास पहुंचे, तो काउंसिलिंग से पता चला कि उन्हें चिंता की बीमारी (एंग्जाइटी) है।


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