लंच रूम, कॉफी शॉप की बातों से फैसले प्रभावित नहीं होते : कोर्ट
विगत पांच दिसंबर को अपने फैसले में विशेष जज ने पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और दो पूर्व अफसरों केएस क्रोफा और केसी समरिया को दोषी मानकर तीन साल कैद की सजा सुनाई थी।
नई दिल्ली, आइएएनएस : कोयला ब्लॉक आवंटन मामले की सुनवाई कर रही एक विशेष अदालत ने कहा कि वकीलों और जजों की लंच रूम या कॉफी शॉप में हुई बातचीत अदालती कार्यवाही या फैसले को किसी भी रूप में प्रभावित नहीं करते हैं।
विशेष जज भरत पराशर ने दो पूर्व कोयला अधिकारियों के वकील राहुल त्यागी की दलील पर कहा कि मैं वकील को याद दिलाना चाहूंगा कि वकीलों की जजों के विषय में कॉफी शॉप या लंच रूम में हुई बातों से किसी भी अदालत की कार्यवाही या कोई अदालती फैसला प्रभावित नहीं होता है। दरअसल इससे पहले, बचाव पक्ष के वकील राहुल त्यागी ने कोर्ट से कहा था कि 'बार' में यह चर्चा है कि अदालत ने जिन लोगों को दोषी मानकर जेल भेजा है, उन्हें सुनवाई के दौरान केवल उनके व्यवहार के आधार पर भेजा गया है।
विगत पांच दिसंबर को अपने फैसले में विशेष जज ने पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और दो पूर्व अफसरों केएस क्रोफा और केसी समरिया को दोषी मानकर तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। उन्हें पश्चिम बंगाल के मोइरा-मधुजोर कोयला ब्लॉक को विकास मेटल एंड पॉवर लिमिटेड (वीएमपीएल) को देने का दोषी पाया गया था। इनके वकील राहुल त्यागी ने सजा तय किए जाने की जिरह के दौरान कहा था कि वह अब क्रोफा और समरिया के वकील नहीं रहेंगे। चूंकि उन्हें निर्दोष होने के बावजूद दोषी करार दिया गया। इस पर अदालत ने कहा कि वकील का ये बयान अवांछनीय है।