नवजात को 1.5 लाख रुपये में खरीदने पर दंपति के खिलाफ मामला दर्ज, जानिए क्या है पूरी कहानी
एक दलाल के जरिए एक नवजात को 1.5 लाख रुपये में खरीदने पर तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
तिरुचिरापल्ली, प्रेट। एक दलाल के जरिए एक नवजात को 1.5 लाख रुपये में खरीदने पर तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। यह जानकारी पुलिस ने दी है। एक दंपति जिनकी उम्र 50 के करीब है, मन्नापराई के सरकारी अस्पताल में एक नवजात बच्चे को लेकर पहुंचे। उनका कहना था कि नवजात के असली मां-बाप इतने गरीब हैं कि उसका लालन-पालन करने में असमर्थ हैं। एक बांड पर बच्चे के असली मां-बाप से हस्ताक्षर कराने के बाद ये दंपति उसे बच्चे का इलाज कराने के लिए सरकारी अस्पताल में इलाज कराने के लिए लाए थे।
डॉक्टरों को पता चला कि दंपति नवजात के जैविक माता-पिता नहीं थे, महिला ने कहा कि वह बच्चे को स्तनपान नहीं करा सकती है। डॉक्टरों को यह मालूम हुआ कि एक बार गोद लेने की प्रक्रिया में असफल होने के बाद दंपति ने बच्चे को खरीदा है। इसके बाद डॉक्टरों ने इस बारे में पुलिस को सूचित किया। उम्रदराज दंपति का कहना था कि एक बच्चे के साथ हम अपनी जिदंगी नए सिरे से शुरू करना चाहते हैं। कुछ सालों पहले हमारे 30 साल के एक बेटे की दुर्घटना में मौत हो गई थी।
पुलिस ने बताया कि इस बच्चे को उन्होंने एक दलाल के जरिए खरीदा था। बच्चे के असली मां-बाप का यह तीसरा बच्चा है। पुलिस मामले की जांच कर रही है। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया में दलाल एंथोनी को 20 हजार रुपए मिले थे।
गोद लेने की प्रक्रिया है काफी जटिल
भारत में गोद लेने की प्रक्रिया काफी जटिल है। यही कारण है कि लोग बच्चों को गोद लेने के बजाय उन्हें खरीदते हैं। ऐसे में उन बच्चों के साथ अनहोनी की आशंका रहती है।
कुछ समय पहले गोद लेने की जटिल प्रक्रिया को लेकर दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने सवाल उठाया था। कोर्ट ने महिला एवं बाल विकास मंत्रालय से पूछा कि आखिर बच्चे को गोद लेने के लिए दिल्ली आना क्यों जरूरी है। कोर्ट ने केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (सीएआरए) से भी गोद लेने की प्रक्रिया को लेकर रिपोर्ट मांगी है। सत्र न्यायधीश गिरीश कथपालिया ने कहा था कि दत्तक माता-पिता को दूर के स्थानों से दिल्ली की यात्रा करने के लिए मजबूर करना मूल दर्शन के खिलाफ है। प्रत्येक राज्य का कर्तव्य है कि वह सुनिश्चित करे कि हर अनाथ बच्चे को माता-पिता मिलें।