Coronavirus News Update: कम नमी में कोरोना वायरस के प्रसार का खतरा दोगुना
Coronavirus News Update विशेषज्ञों का कहना है कि वातावरण में नमी पैदा करने वाली मशीन ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करके बंद जगह की आद्र्रता बढ़ाई जा सकती है। दो लोगों के बीच खाने के दौरान भी अधिकतम दूरी रखनी चाहिए।
नई दिल्ली, जेएनएन। ठंड के दिनों में जब आद्र्रता कम हो जाएगी तब बंद जगह में एयरोसोल के जरिये वायरस के प्रसार की रफ्तार काफी तेज हो सकती है। शोधकर्ताओं का मानना है कि ये निष्कर्ष कोरोना वायरस से बचाव के लिए एहतियाती उपायों में मददगार साबित होंगे। रिकेन एवं कोबे यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं के इस अध्ययन को हाल ही में सार्वजनिक किया गया है।
ऐसे हुआ अध्ययन : शोधकर्ताओं ने वायरस जैसे सूक्ष्म कणों के उत्सर्जन व प्रसार के लिए फुगाकू सुपर कंप्यूटर की मदद ली। यह जानने की कोशिश की गई कि बंद जगह में किसी संक्रमित व्यक्ति से निकलने वाले विषाणु कितनी दूरी तक फैल सकते हैं।
आर्द्रता 30 फीसद से कम तो खतरा ज्यादा : अध्ययन के दौरान पाया गया कि अगर वातावरण में आद्र्रता 30 फीसद से कम है तो वहां एयरोसोल की मात्रा दोगुनी से भी ज्यादा हो जाती है। जब आद्र्रता 60 फीसद या इससे ज्यादा होती है तो एयरोसोल आधे से भी कम हो जाते हैं।
फेस शील्ड से कारगर मास्क : शोधकर्ताओं ने पाया कि फेस शील्ड एयरोसोल के प्रसार को रोकने में फेस मास्क के मुकाबले कम कारगर हैं। अध्ययन में यह भी कहा गया है कि साथ खाने के दौरान भी वायरस के प्रसार का खतरा रहता है। यही नहीं कोरस गायन के दौरान भी गायकों की संख्या सीमित होनी चाहिए और उनके बीच दूरी रहनी चाहिए।
आने वाले दिन ज्यादा चुनौतीपूर्ण : भारत में आनेवाले दिन ज्यादा चुनौतीपूर्ण होंगे। इसकी दो वजह हैं। एक तो ठंड के दिनों में आद्र्रता कम हो जाएगी और दूसरा लोग बंद जगहों में रहना ज्यादा पसंद करेंगे। विविधतापूर्ण मौसम वाले इस देश में हर जगह आद्र्रता एक जैसी नहीं होती। ठंड के दिनों में कुछ जगहों पर आद्र्रता कई बार 30 फीसद से भी कम हो जाती है। कुछ जगहों पर औसत आद्र्रता 40 फीसद के आसपास रहती है। इसलिए, लोगों को एहतियाती उपायों का खास ध्यान रखना होगा।
समाधान का रखना होगा विशेष ध्यान : विशेषज्ञों का कहना है कि वातावरण में नमी पैदा करने वाली मशीन ह्यूमिडिफायर का इस्तेमाल करके बंद जगह की आद्र्रता बढ़ाई जा सकती है। दो लोगों के बीच खाने के दौरान भी अधिकतम दूरी रखनी चाहिए। इससे पहले माकोटो सुबोकुरा के नेतृत्व वाली रिकेन यूनिवर्सिटी की शोध टीम ट्रेन, कार्यस्थल व कक्षा की अवस्था का अध्ययन करने के लिए फुगाकू सुपर कंप्यूटर का सहारा ले चुकी है। तब टीम ने कहा था कि ट्रेन यात्रा के दौरान खिड़की खुली हो तो कोरोना संक्रमण का खतरा दो से तीन गुना कम हो जाता है। सुबोकुरा कहते हैं कि लोगों में कोरोना वायरस से भय इसलिए है क्योंकि वह दिखता नहीं है।