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कोरोना वायरस का पढ़ाई पर भी गहरा आघात, 154 करोड़ छात्र-छात्रा नहीं जा पा रहे स्कूल

पेरिस से फोन पर साक्षात्कार में स्टेफेनिया ने कहा इस समय दुनिया के 89 प्रतिशत विद्यार्थी कोविड-19 के चलते स्कूल नहीं जा पा रहे हैं।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Wed, 22 Apr 2020 10:04 PM (IST)Updated: Thu, 23 Apr 2020 12:20 AM (IST)
कोरोना वायरस का पढ़ाई पर भी गहरा आघात, 154 करोड़ छात्र-छात्रा नहीं जा पा रहे स्कूल

नई दिल्ली, प्रेट्र। कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते पढ़ाई पर सबसे ज्यादा बुरा असर पड़ रहा है। दुनिया के तमाम देशों में लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग सिस्टम लागू होने से 154 करोड़ से ज्यादा छात्र-छात्राएं स्कूल नहीं जा पा रहे। इनमें से करोड़ों के साथ हमेशा के लिए पढ़ाई छूटने का खतरा है। इस खतरे से जूझ रहे विद्यार्थियों में छात्राओं की संख्या ज्यादा है। इससे समाज खासतौर से लड़कियों को शिक्षित बनाने के वर्षो के प्रयास को झटका लगेगा।

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यूनेस्को की सहायक महानिदेशक (शिक्षा) स्टेफेनिया जियानिनी के अनुसार कोरोना वायरस के चलते लॉकडाउन ने स्कूलों और अन्य शिक्षण संस्थाओं को बंद करना पड़ा है। इससे विद्यार्थियों की पढ़ाई का नुकसान तो ही रहा है, उनके फिर से स्कूल आने की प्रवृत्ति पर भी विपरीत असर पड़ेगा। महीनों की स्कूल बंदी से करोड़ों विद्यार्थियों खासतौर पर लड़कियों के फिर से स्कूल आने में मुश्किल हो सकती है। इससे शिक्षा में लैंगिक असमानता बढ़ेगी। अंतत: समाज में यौन शोषण, कम उम्र में मां बनने, कम उम्र में शादी और जबर्दस्ती शादी जैसी समस्याएं बढ़ेंगी।

पेरिस से फोन पर साक्षात्कार में स्टेफेनिया ने कहा, इस समय दुनिया के 89 प्रतिशत विद्यार्थी कोविड-19 के चलते स्कूल नहीं जा पा रहे हैं। यह संख्या 154 करोड़ की बनती है। इनमें करीब 74 करोड़ लड़कियां हैं। इनमें से 11 करोड़ लड़कियां अल्प विकसित देशों की हैं जिनके लिए स्कूल आना और पढ़ाई को जारी रखना पहले ही मुश्किल बना हुआ था। अब जबकि महीनों के लिए स्कूल बंद हैं, तब ऐसी लड़कियों की स्कूल वापसी और मुश्किल हो जाएगी। इनमें तमाम लड़कियां शरणार्थी शिविरों में रहकर और मेहनत-मजदूरी करते हुए पढ़ रही थीं। इन स्थितियों में लड़कियों की शिक्षा का स्तर बढ़ाने के पिछले 20 वर्षो के प्रयास बेकार हो जाएंगे।


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