चीन की लीपापोती के बावजूद महामारी के प्रति उसे जवाबदेह बनाने के लिए समझें पूरी कहानी
चीन का कहना है कि दूसरे देशों से आने वाले फूड शिपमेंट से चीन में कोरोना वायरस आया होगा। दूसरे तर्क के तहत चीन के कुछ विज्ञानियों का कहना है कि चमगादड़ से पैंगोलिन में वायरस पहुंचा और उससे मनुष्यों में पहुंचा।
नई दिल्ली, जेएनएन। आज जिस वायरस ने दुनिया में कोहराम मचा रखा हो, मानवता सहम और सिहर चुकी हो, आखिर उसकी उत्पत्ति की जबावदेही तो तय करनी ही होगी। एक बड़ा वर्ग मानता है कि यह वायरस चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में बनाया गया है। वहां से किसी चूक के कारण वायरस लीक हुआ और धीरे-धीरे महामारी का रूप ले लिया। क्योंकि चीन ने जिस वेट मार्केट से इसका पहला मामला मिलने की बात कही है, यह लैब उससे कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है। विज्ञानियों का बड़ा वर्ग शुरुआत से इस तरह की आशंका को खारिज करता रहा है।
नए साक्ष्यों के साथ दोबारा हुई जांच की मांग: हाल में अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को पता चला है कि नवंबर, 2019 में चीन की वुहान स्थित लैब में काम करने वाले तीन विज्ञानियों को कोविड-19 जैसे लक्षणों के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था। यह आधिकारिक रूप से कोरोना का पहला मामला आने से महीनेभर पहले की बात है। इससे लैब लीक की बात कहने वालों की दलील मजबूत हुई। फिर अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के चीफ मेडिकल एडवाइजर एंथनी फासी ने भी कहा कि लैब लीक की आशंका को पूरी तरह खारिज नहीं किया जा सकता है। संपूर्ण जांच जरूरी है।
लैब लीक को पुष्ट करने वाले तथ्य
1 वायरस आया कहां से?सार्स-कोव-2 की जिस चमगादड़ के वायरस से समानता की बात कही जा रही है, उनकी रिहाइश युन्नान प्रांत में है। ऐसे में पहले वहां के लोगों को महामारी का शिकार होना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके अलावा अब तक यह भी नहीं पता लगाया जा सका है कि चमगादड़ के बाद किस जानवर में यह वायरस पहुंचा, जिसने मनुष्य को संक्रमित किया। यह अधूरी कड़ी बड़े सवाल पैदा करती है।
2 फ्यूरिन क्लीवेज साइट इस वायरस के स्पाइक प्रोटीन में एस1 और एस2 के रूप में दो इकाइयां मिली हैं। मनुष्य की कोशिका से वायरस मिलते ही वायरल जीनोम उसमें प्रवेश कर जाता है और उसकी प्रोटीन बनाने की प्रक्रिया को हाईजैक करते हुए नए वायरस बनाता है। ऐसा इसलिए संभव होता है, क्योंकि एस1 और एस2 टूटते हैं और ठीक इन दोनों के मिलने की जगह पर एक फ्यूरिन क्लीवेज साइट बन जाती है। अब तक मिले इस तरह के सभी वायरस में एस2 दूसरी जगह पर रहता है, जिससे फ्यूरिन क्लीवेज साइट नहीं बन पाती है। विज्ञानियों के समक्ष बड़ा सवाल है कि सार्स-कोव-2 में यह फ्यूरिन क्लीवेज साइट कैसे बनी। यदि यह प्राकृतिक रूप से होता, तो वायरस में अब तक और बदलाव हो चुके होते। लेकिन ऐसा नहीं हुआ है। इसलिए यह धारणा मजबूत होती है कि प्रयोगशाला में अध्ययन के दौरान वायरस में फ्यूरिन क्लीवेज साइट बनाई गई।
बचाव में चीन के (कु)तर्क: चीन का कहना है कि दूसरे देशों से आने वाले फूड शिपमेंट से चीन में कोरोना वायरस आया होगा। दूसरे तर्क के तहत चीन के कुछ विज्ञानियों का कहना है कि चमगादड़ से पैंगोलिन में वायरस पहुंचा और उससे मनुष्यों में पहुंचा। हालांकि यह दलील भी इसलिए सही नहीं मानी जा सकती, क्योंकि पैंगोलिन में मिला वायरस भी सार्स-कोव-2 से काफी अलग है। पैंगोलिन अफ्रीका और एशियाई देशों में पाया जाने वाला जीव है।
चीन और डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट में अनसुलझे रह गए सवाल
चीन और डब्ल्यूएचओ ने 29 मार्च, 2021 को संयुक्त रिपोर्ट जारी, जिसमें महामारी से जुड़े कई अहम सवाल अनुत्तरित्त रह गए।
’ दिसंबर, 2019 में पहला मामला पकड़ में आने से पूर्व वुहान में महामारी कितनी फैल चुकी थी?
पहले मामले की पहचान से पूर्व वुहान में संक्रमण को लेकर कुछ खास जानकारी नहीं मिली।
’ दिसंबर, 2019 से पहले अन्य देशों में महामारी कितना पहुंच चुकी थी?
-अन्य देशों में इसके पहुंच चुके होने का अनुमान है, लेकिन इस संबंध में विशेष अध्ययन नहीं हुए हैं।
’ वुहान के वेट मार्केट की महामारी में क्या भूमिका रही? यहां से वायरस का प्रसार शुरू हुआ या इसने प्रसार की गति बढ़ाई?
-मार्केट की भूमिका को लेकर कोई स्पष्ट निष्कर्ष नहीं दिया जा सकता है।
’ वह जानवर कौन सा है, जो मनुष्यों में प्रसार का कारण बना?
इस बारे में कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता है।
’ फ्रोजन मीट की क्या भूमिका?
-फ्रोजन फूड और अन्य से संक्रमण के प्रसार पर व्यापक अध्ययन की जरूरत है।
’ क्या प्रयोगशाला से वायरस लीक की संभावना है?
-प्रयोगशाला से वायरस लीक नहीं हो सकता।