भारत में कोरोना स्थानिकता के चरण में हो रहा है तब्दील, कोवैक्सीन को अगले माह डब्ल्यूएचओ से मंजूरी मिलने की उम्मीद
कोवैक्सीन को मंजूरी दिए जाने के संबंध में स्वामीनाथन ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि डब्ल्यूएचओ का तकनीकी समूह कोवैक्सीन को उसके अधिकृत टीकों में शामिल करने की मंजूरी देने के लिए संतुष्ट होगा और सितंबर के मध्य तक ऐसा हो सकता है।
नई दिल्ली, प्रेट्र। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की मुख्य विज्ञानी डा. सौम्या स्वामीनाथन का कहना है कि भारत में कोरोना एक तरह से महामारी के स्थानिकता के चरण में प्रवेश कर रहा है, जहां निम्न या मध्यम स्तर का संक्रमण जारी है।
स्थानिक अवस्था तब होती है जब कोई आबादी वायरस के साथ रहना सीखती है। यह महामारी के चरण से बहुत अलग है, जब वायरस आबादी पर हावी हो जाता है।
कोवैक्सीन को मंजूरी दिए जाने के संबंध में स्वामीनाथन ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि डब्ल्यूएचओ का तकनीकी समूह कोवैक्सीन को उसके अधिकृत टीकों में शामिल करने की मंजूरी देने के लिए संतुष्ट होगा और सितंबर के मध्य तक ऐसा हो सकता है।
एक समाचार वेबसाइट को दिए साक्षात्कार में स्वामीनाथन ने कहा कि भारत के आकार और देश के विभिन्न हिस्सों में जनसंख्या की विविधता तथा प्रतिरक्षा की स्थिति के मद्देनजर यह बहुत संभव है कि देश के विभिन्न हिस्सों में उतार-चढ़ाव के साथ यह स्थिति जारी रह सकती है।
महामारी के दौरान राज्यों के साथ खड़ी रही केंद्र सरकार : मांडविया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने मंगलवार को कहा कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान केंद्र सरकार राज्यों के साथ खड़ी रही है। केंद्र की आपातकालीन वित्तीय सहायता ने कोरोना का मजबूती से सामना करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। स्वास्थ्य मंत्रालय के एक बयान के अनुसार उन्होंने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना चिकित्सा देखभाल में क्षेत्रीय असंतुलन को दुरुस्त कर रही है और पिछड़े राज्यों में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा प्रदान कर रही है।
कोरोना के नए मामलों में आ रही गिरावट
देश में कोरोना के मौजूदा आंकड़ों की बात करें तो नए मामलों में गिरावट दर्ज की जा रही है। बीते 24 घंटे में कोरोना के 25,467 नए मामले सामने आए हैं। इसको मिलाकर देश में संक्रमितों की संख्या बढ़कर 3 करोड़ 24 लाख 74 हजार से अधिक हो गई है। वहीं, उपचाराधीन मरीजों की संख्या कम होकर 3 लाख 19 हजार हो गई है। देश में करीब 161 दिनों के बाद उपचाराधीन मरीजों की संख्या सबसे कम दर्ज की गई है।