Coronavirus In India: स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन बोले- हमने खतरे को जल्दी पहचान लिया
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बताया कि भारत में कोविड-19 के मामलों में लगातार कमी आ रही है जबकि दुनिया के कई देश संक्रमण के मामलों में वृद्धि की दूसरी या तीसरी लहर का सामना कर रहे हैं।
नई दिल्ली, पीटीआइ। भारत में कोरोना वायरस संक्रमण का प्रसार उस स्तर पर नहीं हुआ, जिसकी संभावना जताई जा रही थी। मौजूदा हालात में भारत कई पश्चिमी देशों से बेहतर स्थिति में नजर आता है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इसकी वजह सरकार की दूरदर्शिता को बताया। बता दें कि भारत में अभी तक कोरोना वायरस संक्रमितों का आंकड़ा एक करोड़ को पार नहीं किया है और पिछले काफी दिनों से मामले घट रहे हैं। साथ ही पाजिटिविटी दर में भी सुधार हो रहा है।
हर्षवर्धन ने बताया कि भारत में कोविड-19 के मामलों में लगातार कमी आ रही है, जबकि दुनिया के कई देश संक्रमण के मामलों में वृद्धि की दूसरी या तीसरी लहर का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने 'खतरे को जल्दी पहचान लिया और इससे निपटने में वैज्ञानिक साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण को अपनाया।' उन्होंने कहा कि यही वजह है जिससे हालात आज काबू में हैं।
स्वास्थ्य मंत्री ने यह टिप्पणी कोलिशन फॉर डिजास्टर रेजिलिएंट इन्फ्रास्ट्रक्चर (सीडीआरआइ) और यूएन ऑफिस फॉर डिजास्टर रिस्क रिडक्शन (यूएनडीआरआर) के एक डिजिटल प्रोग्राम के तहत की। इस कार्यक्रम का विषय ‘बिल्ड बैक बेटर: बिल्डिंग रिजिलिएंट हेल्थ इन्फ्रास्ट्रक्चर एंड सप्लाई चेन’ था। इस कार्यक्रम के दौरान हर्षवर्धन ने कहा, 'कोविड-19 के प्रकोप को लगभग एक साल हो गया है। दुनिया के कई हिस्सों में संक्रमण कम हो रहा है, जबकि कई अन्य देश दूसरी या तीसरी लहर का सामना कर रहे हैं। सौभाग्य से, भारत में, मामलों में लगातार कमी आ रही है। हमने खतरे को जल्दी पहचान लिया और इससे निपटने के लिए वैज्ञानिक साक्ष्य आधारित दृष्टिकोण का अनुसरण किया।'
भारत में कोरोना से ठीक होने की दर सबसे ज्यादा
भारत में कोविड-19 से मृत्यु के मामलों में गिरावट आ रही है। मृत्यु दर 1.45 फीसद है और इसमें लगातार कमी आ रही है।स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत में ठीक होने की दर दुनिया में सबसे अधिक है। वैश्विक स्तर पर ठीक होने की दर 70.27 फीसद है, जबकि भारत में यह 95.31 फीसद है। फिलहाल नए संक्रमण की तुलना में ज्यादा लोग स्वस्थ हो रहे हैं। इससे स्वस्थ होने की दर ऊंची बनी हुई है। भारत में अब तक लगभग 95 लाख लोग इस बीमारी को मात दे चुके हैं।