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Delta Variant : कोरोना का डेल्‍टा वैरिएंट बच्‍चों के लिए कितना घातक, जानें क्‍या है विशेषज्ञों की राय

अमेरिका में बड़ी संख्‍या में कोरोना संक्रमण से लोगों की मौत हो रही है। इतना ही नहीं अमेरिका में बड़ी संख्‍या में बच्‍चे भी कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। बच्‍चों के लिए कोरोना का डेल्‍टा वैरिएंट कितना घातक है। आइए जाने इस बारे में क्‍या कहते हैं चिकित्‍सा विशेषज्ञ...

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Thu, 23 Sep 2021 09:20 PM (IST)Updated: Fri, 24 Sep 2021 02:20 AM (IST)
Delta Variant : कोरोना का डेल्‍टा वैरिएंट बच्‍चों के लिए कितना घातक, जानें क्‍या है विशेषज्ञों की राय
बच्‍चों के लिए कोरोना का डेल्‍टा वैरिएंट कितना घातक है। आइए जाने इस बारे में क्‍या कहते हैं चिकित्‍सा विशेषज्ञ...

नई दिल्‍ली, एजेंसियां। अभी भी दुनिया के तमाम मुल्‍क कोरोना संक्रमण की मार झेल रहे हैं। अमेरिका कोरोना महामारी से दुनिया में सबसे ज्‍यादा प्रभावित देश है। मौजूदा वक्‍त में अमेरिका कोरोना के डेल्‍टा वैरिएंट से जूझ रहा है। अभी भी अमेरिका में बड़ी संख्‍या में कोरोना संक्रमण से लोगों की मौत हो रही है। इतना ही नहीं अमेरिका में बड़ी संख्‍या में बच्‍चे भी कोरोना से संक्रमित हो रहे हैं। बच्‍चों के लिए कोरोना का डेल्‍टा वैरिएंट कितना घातक है। आइए जाने इस बारे में क्‍या कहते हैं चिकित्‍सा विशेषज्ञ...  

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गंभीर बीमार पड़ने के मजबूत साक्ष्‍य नहीं 

समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट के मुताबिक विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तक इस बारे में ठोस साक्ष्य नहीं मिल पाए हैं कि कोरोना वायरस का डेल्‍टा वैरिएंट बच्चों और किशोरों के लिए कितना घातक है। इस बारे में भी डेटा उपलब्‍ध नहीं है कि बच्‍चे या किशोर कोरोना पहले के स्वरूपों की तुलना में डेल्टा वैरिएंट से कितना गुना ज्यादा गंभीर रूप से बीमार पड़ेंगे। हालांकि की इसमें कोई दो राय नहीं है कि डेल्टा वैरिएंट के चलते बच्चों में संक्रमण तेजी से बढ़ा है क्योंकि यह पूर्व के स्‍वरूपों की तुलना में कहीं ज्‍यादा संक्रामक है।

बच्चों के लिए ज्यादा घातक

फ्लोरिडा के सेंट पीटर्सबर्ग में जान्स हापकिन्स आल चिल्ड्रेन्स हास्पिटल में शिशु संक्रामक रोग विशेषज्ञ डा. जुआन डुमोइस कहते हैं कि पूर्व के बाकी वैरिएंट की तुलना में कोरोना का डेल्‍टा वैरिएंट कहीं अधिक तेजी और आसानी से फैलता है। डेल्‍टा वैरिएंट की यही क्षमता उसे बच्चों और किशोंरों के लिए ज्यादा घातक और खतरनाक बनाती है। ऐसे में यह स्कूलों में बच्‍चों और किशोरों को मास्क पहनने को अनिवार्य बनाती है। साथ ही किशोरों में टीकाकरण की जरूरत की ओर भी इशारा करती है। 

बड़ी संख्‍या में कर सकता है संक्रमित 

वहीं अमेरिकन एकेडमी आफ पीडियाट्रिक्स ऐंड चिल्ड्रेन्स हास्पिटल एसोसिएशन के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिकी बच्चों में साप्ताहिक संक्रमण की दर इस महीने की शुरूआत में ढाई लाख तक पहुंच गई जो बेहद खतरनाक संकेत है। आंकड़े यह भी बताते हैं कि कोरोना महामारी की शुरूआत के बाद से अमेरिका में अब तक 50 लाख से ज्‍यादा बच्चे कोरोना संक्रमण की चपेट में आ चुके हैं। ये आंकड़े इस बात की तस्‍दीक करते हैं कि बच्‍चे बड़ी संख्‍या में कोरोना के डेल्‍टा वैरिएंट से संक्रमित हो सकते हैं।  

अब तक 180 देशों में हुई पहचान 

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कम से कम 180 देशों में कोरोना के डेल्टा वैरिएंट की पहचान की गई है। यही कारण है कि कई देशों में संक्रमण में वृद्धि देखी गई है। यही नहीं बच्चों और किशोरों के अस्पताल में भर्ती होने की संख्या में भी वृद्ध‍ि देखी गई है। भारी संख्या को देखने से ऐसा लग सकता है कि बच्चे डेल्टा वैरिएंट से बीमार हो रहे हैं लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा नहीं लगता है। अधिकांश संक्रमित बच्चों में हल्के संक्रमण होते हैं या कोई लक्षण नहीं नजर आते हैं और उन्हें अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता नहीं होती है।

वैक्‍सीन है बचाव में मददगार 

अमेरिका में सीडीसी के आंकड़े बताते हैं कि कोविड-19 रोधी वैक्‍सीन कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से भी सुरक्षा प्रदान करती हैं। समाचार एजेंसी एपी की रिपोर्ट कहती है कि 12 साल और उससे ज्‍यादा उम्र के बच्चों में जो COVID-19 रोधी टीकाकरण के पात्र हैं... जुलाई में अस्पताल में भर्ती होने की साप्ताहिक दर उन लोगों की तुलना में 10 गुना अधिक थी जिन्‍होंने टीका नहीं लगवाया था।

जानें क्‍या कहते हैं भारतीय विशेषज्ञ 

वहीं भारतीय विशेषज्ञों की राय है कि यदि बच्‍चे एसिम्‍टोमैटिक हैं और उन्‍हें गंभीर संक्रमण नहीं है तो उनमें कोविड-19 का संक्रमण ज्यादा चिंता का विषय नहीं होना चाहिए। भारतीय विशेषज्ञों का कहना है कि हमें बड़ी संख्‍या में संक्रमित बच्‍चों के अस्पतालों में भर्ती होने की आकस्मिक स्थिति के लिए भी तैयार रहना चाहिए। इसके लिए उन्‍होंने अस्‍पतालों में व्‍यापक तैयारियां करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। विस्‍तृत जानकारी के लिए पढ़ें यह रिपोर्ट- बच्‍चों में संक्रमण कितना घातक, जानें इस बारे में क्‍या कहते हैं भारतीय विशेषज्ञ


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